दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय: वेद में परमात्मा से विद्यार्थी द्वारा विद्या का प्रकाशक बनाने की प्रार्थना

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आत्मबोध 

दैनिक वेद मन्त्र स्वाध्याय : 

वेद में परमात्मा से विद्यार्थी द्वारा विद्या का प्रकाशक बनाने की प्रार्थना

सोमाना स्वरणं कृणुहि ब्रह्मणस्पते। कक्षीवन्तं य औशिजः

(सामवेद – मंत्र संख्या १३९ )

मन्त्रार्थ— हे (ब्रह्मणःपते) वेद, ब्रह्माण्ड और सकल ऐश्वर्य के स्वामिन् इन्द्र जगदीश्वर ! (यः) जो मैं (औशिजः) मेधावी आचार्य का विद्यापुत्र हूँ, उस (कक्षीवन्तम्) मुझ क्रियावान् को (सोमानाम्) ज्ञानों का (स्वरणम्) प्रकाश करनेवाला तथा उपदेश करनेवाला (कृणुहि) बना दीजिए। 

व्याख्या—हे वेद, ब्रह्माण्ड और सकल ऐश्वर्य के स्वामी जगदीश्वर ! जो मैं गुरुकुल में विद्या पढ़कर मेधावी आचार्य का विद्यापुत्र होकर विद्या के अनुरूप कर्म कर रहा हूँ, मुझको आप विद्या का प्रकाशक और उपदेशक बना दीजिए, जिससे मैं भी सत्पात्रों को विद्यादान करूँ। 

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