केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल

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केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल

शौर्य दिवस (केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल)

 
अप्रैल, 1965 को केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की द्वितीय बटालियन की एक छोटी-सी टुकड़ी ने गुजरात के कच्छ के रण में सरदार पोस्ट पर पाकिस्तानी ब्रिगेड द्वारा किए गए हमले को विफल कऱ दिया।
 
 इस हमले में 34 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा गया तथा 4 को जिंदा गिरफ्तार किया गया। 
 
 सैन्य लड़ाई के इतिहास में कभी भी एक छोटी-सी सैन्य टुकड़ी इस तरह से एक पूर्ण पैदल सेना ब्रिगेड से नहीं लड़ी। इस संघर्ष में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के कुल 6 बहादुर रण बाँकुरों ने अपनी शहादत दी।
 
बल के बहादुर जवानों की गाथा को श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु प्रतिवर्ष 9 अप्रैल को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
 
आंतरिक सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) भारत संघ का प्रमुख केंद्रीय पुलिस बल है। 
 
 यह सबसे पुराने केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बलों (अब केंद्रीय सशस्‍त्र पुलिस बल के रूप में जानते हैं) में से एक है, जिसे वर्ष 1939 में क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस के रूप में गठित किया गया था।  
 
 आजादी के बाद 28 दिसम्‍बर, 1949 को संसद के एक अधिनियम द्वारा इस बल का नाम ‘केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल’ दिया गया था। 
 
तत्‍कालीन गृह मंत्री सरदार वल्‍लभ भाई पटेल ने नव स्‍वतंत्र राष्‍ट्र की बदलती जरूरतों के अनुसार इस पुलिस बल के लिए एक बहु आयामी भूमिका की कल्‍पना की थी।
 
 वर्ष 1950 से पूर्व भुज, तत्‍कालीन पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्‍य संघ (पीईपीएसयू) तथा चंबल के बीहड़ों के सभी इलाकों द्वारा केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल की सैन्‍य टुकड़ियों के प्रदर्शन की सराहना की गई।
 
भारत संघ में रियासतों के एकीकरण के दौरान पुलिस बल ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। जूनागढ़ की विद्रोही रियासत और गुजरात में कठियावाड़ की छोटी रियासत,
 
जिसने भारतीय संघ में शामिल होने के लिए मना कर दिया था, को अनुशासित करने में सीआरपीएफ ने केंद्र सरकार की मदद की। 

जब किया चीनी हमले को नाकाम ( केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल )

 
भारत के हॉट स्प्रिंग (लद्दाख) पर पहली बार 21 अक्‍टूबर, 1959 को चीनी हमले को केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल ने नाकाम किया।
 
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के एक छोटे-से गश्‍ती दल पर चीन द्वारा घात लगाकर हमला किया गया जिसमें सीआरपीएफ के दस जवानों ने देश के लिए सर्वोच्‍च बलिदान दिया।
 
उनकी शहादत की याद में देश भर में हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्‍मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। 
 
वर्ष 1962 के चीनी आक्रमण के दौरान एक बार फिर सीआरपीएफ ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना को सहायता प्रदान की।
 
भारत में अर्द्ध सैनिक बलों के इतिहास में पहली बार महिलाओं की 1 टुकड़ी सहित केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल की 13 कंपनियों को आतंकवादियों से लड़ने के लिए भारतीय शांति सेना के साथ श्रीलंका में भेजा गया।

Shaurya Diwas (Central Reserve Police Force)

 
On April 9, 1965, a small contingent of the 2nd Battalion of the Central Reserve Police Force (CRPF) foiled the attack of a Pakistani brigade on Sardar Post in the Rann of Kutch in Gujarat.
 
In this attack, 34 Pakistani soldiers were killed and 4 were arrested alive. 
 
 Never in the history of military battles has a small contingent fought a full infantry brigade in this manner? A total of 6 brave warriors of the Central Reserve Police Force laid down their lives in this conflict.
 
To pay tribute to the saga of the brave soldiers of the force, 9 April is celebrated every year as Shaurya Diwas. 

The Central Reserve Police Force (CRPF) is the main central police force of the Union of India for internal security.
 
 It is one of the oldest Central Para Military Forces (now known as Central Armed Police Forces), which was raised in the year 1939 as Crown Representative Police.
 
After Independence, the force was renamed ‘Central Reserve Police Force’ by an Act of Parliament on 28 December 1949. 

The then Home Minister Sardar Vallabhbhai Patel envisioned a multi-
 
dimensional role for the force to suit the changing needs of the newly independent nation. Before 1950, the performance of the contingents of 

the Central Reserve Police Force was appreciated by all the areas of Bhuj,
 
the then Patiala and East Punjab States Union (PEPSU) and the Chambal ravines. 

The police force played an important role during the integration of princely states into the Union of India.
 
The CRPF helped the central government in disciplining the rebel princely state of Junagadh and the small princely state of Kathiawar in Gujarat, which refused to join the Indian Union. 

When the Chinese attack was foiled

 The Central Reserve Police Force foiled the Chinese attack on India’s Hot Spring (Ladakh) for the first time on 21 October 1959.
 
A small patrol party of the CRPF was ambushed by China in which ten CRPF jawans made the supreme sacrifice for the country.
 
In memory of their martyrdom, 21 October is celebrated every year across the country as Police Smriti Diwas.
 
Once again during the Chinese invasion of 1962,
 
the CRPF assisted the Indian Army in Arunachal Pradesh. For the first time in the history of paramilitary forces in India,
 
13 companies of the CRPF, including 1 contingent of women, were sent to Sri Lanka with the Indian Peace Keeping Force to fight terrorists.
 

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