क्या है गजवा ए हिन्द ?

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क्या है गजवा ए हिन्द ?

क्यों मुस्लिम पूरे भारत में गजवा ए हिन्द लाना चाहते  है ?

पहले तो यह जाने की गजवा-ए-हिन्द का अर्थ क्या है, काफिरों को जीतने के लिए किये जाने वाले युद्ध को “गजवा” कहते हैं और जो इस युद्ध में विजयी रहता है उसे “गाजी” कहते हैं, जिस भी आक्रान्ता और आक्रमणकारी के नाम के सामने गाजी लगा हो या जिसे गाजी की उपाधि दी गयी हो निश्चय हो वह हिन्दुओ का व्यापक नर संहार करके इस्लाम के फैलाव में लगा था। भारत के इतिहास में जिस अकबर कों महान बताया जाता हैं उसने चित्तोड़ के युद्ध के बाद 30 हजार हिन्दुओं का नरसंहार करके गाज़ी की उपाधि प्राप्त की थी। हम हिन्दुओ की सबसे बड़ी निर्बलता है की हम धर्म के बारे में बहुत कम जानते हैं और और अपने को सेकुलर कहते है और सेकुलर का मतलब भी नहीं जानते। एक मुस्लिम कभी सेकुलर नहीं होता है, चाहे वह नेता हो या आम नागरिक हां, वह हिन्दू भीड़ में सेकुलर बनने का महत्व का भाषण अवश्य देता है।

गजवा-ए-हिन्द का अर्थ है की भारत में सभी गैर मुस्लिमो(काफिरों)पर इस्लामिक शरिया कानून लागु करना भारत कों इस्लामिक राष्ट्र(दारुल इस्लाम) बनाना,जिसके लिए या तो गैर मुस्लिमों कों मारकर समाप्त कर दो या इनको इस्लाम स्वीकार कराओ या उन्हें तब तक जिन्दा रखो जब तक अपनी कमाई का एक हिस्सा “जजिया कर” के रूप में इस्लामिक सरकार को देते रहे जैसा मुग़ल करते रहे। भारत में यह एक बार हो चूका है, हलांकि यह तुकडे तुकडे में हुआ

गजवा-ए-हिन्द के 7 मुख्य प्रक्रिया स्तर होते हैं:-

अल-तकिय्या 

यह वह अवस्था है जब मुस्लिम कमजोर या कम संख्या में होता है, इस स्थिति में काफिरों (गैर-मुस्लिमों)से झूठ बोलना और उन्हें धोखा देना उचित माना जाता है,यह अवस्था अपने को अंदरूनी तौर से मजबूत रखना और काफिरों से अपनी अंदरूनी जानकारियों(क़ुरान/ मोहम्मद )से दूर रखना। इसके अंतर्गत ही ये राष्ट्रवादी बनने का ढोंग करते है जितने भी मुसलमानो अपने आप कों अल्लाह का इस्लाम मानने वाला बोल राष्ट्रवादी होने का ढोंग करते हैं वो अल तकिय्या ही कर रहे हैं

उदाहरण:- 

zee न्यूज़ के डिबेट ताल ठोक के मैं जब आचार्य अंकुर आर्य क़ुरान की आयतो की पोल खोलने लगे तो राष्ट्रवादी बनने वाले भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सय्यद शाहनवाज़ हुसैन कूद पड़े बीचमे ही ताकि क़ुरान की वास्तविकता जनता के सामने ना आये

काफिरों के मन में भय भरना :

इस काम के लिए काफिरों पर धोखे से हमला करना और उनकी हत्या करना, झुण्ड बनाकर किसी एक जगह पर काफिरों (गैर मुस्लिमों) पर हमले करना, जो पिछले हजार वर्ष से भारत में जारी है। ट्रकों और गाड़ियों में भरकर किसी एक स्थान पर हिन्दुओं को हड़काना सेकुलर सरकारों में कब से चल रहा है। इस काम के लिए गैर मुस्लिम आक्रामक नेताओं और धर्म गुरुओं को मौत के घात उतारना, एक-एक करके उनको घात लगाकर समाप्त कर देना जिससे गैर मुस्लिम भयभीत रहा करें और सार्वजनिक रूप से इस्लाम के विरुद्ध जबान न खोलें

उदाहरण:- स्वर्गीय कमलेश तिवारी जी की गुस्ताख़ ए रसूल बोलके हत्या,फ्रांस पर हमला, यति नरसिंघानंद जी कों मारने हेतु सड़को पर जुलुस

हथियारों का जखीरा इकठ्ठा करना 

यह काम बहुत ही निर्णायक होता है और इसमें धर्म युद्ध जैसे कोई नियम नहीं होते, काफ़िर को जितनी पीड़ा दायक मृत्यु दी जाये (दूसरे काफ़िर को दिखाकर भयभीत करने) वह सबसे ज्यादा प्रभावी होता है, हथियार इकठ्ठा करने का काम जो “अदनान खगोशी और उसके बाद बहुत से मुस्लिम तस्कर” पिछले कई वर्षों से कर रहे हैं, सबसे ज्यादा हथियार सोवियत संघ से मुस्लिम देशों के टूटने के बाद भारत में लाये गए, अनुमान के अनुसार पूर्व सोवियत देशों से १ करोड़ AK-47 गायब हुयीं मगर आज तक उनका कोई पता नहीं है! ये हथियार मुख्यतः भारत-अफगानिस्तान-पाकिस्तान गए

उदाहरण:- दिल्ली दंगों में योजना बना हिन्दुओं पर आक्रमण, दिलभर नेगी की निर्मम हत्या जिससे हिन्दुओं के मन में भय बैठे

हिन्दुओं के घर में हत्यार के नाम पर ऐसे चाकू हैं जिससे सब्जी ना कटे वहाँ मुसलमान अपने बच्चों कों बचपन से ही जानवरो कों तड़पा कर हलाल करने की शिक्षा देकर तैयार करते हैं शारीरिक और मानसिक रूप से

समय समय पर काफिरों की शक्ति का अनुमान करना 

इसके लिए दंगो का सहारा लेकर अपने आक्रमणों का काफिरों की तरफ से प्रतिरोध आंकना जो चलता ही रहा है, छोटी-छोटी बातों पर बड़ा झगड़ा करके काफिरों की एक जुटता का और उनकी शक्ति का पता लगाना।

ठिकाने या शिविर(मोहल्ले)बनाना और बाकी कों पलायन करने पर विवश करना

इसके लिए बस्तियों और मस्जिदों को उपयोग किया जाता है जहा पर मुसलमानो को इकठ्ठा करना और हथियार रखना और भड़काकर काफिरों(गैर मुसलमानो)का उस क्षेत्र में सफाया कर देना, इस्लामिक गतिविधि वाले शिविरों(मोहल्लो)के क्षेत्र से किसी न किसी बहाने सभी काफिरों को भगाना आवश्यक होता है जिससे वह क्षेत्र पूरा मुसलमानो का हो जाए

उदाहरण:- ना केवल भारत,पूरी दुनिया में गैर मुस्लिम कों पलायन करना पड रहा हैं

सरकारी सुरक्षा तंत्र को कमजोर करना 

इस काम में तो स्वंय सरकारें तक सम्मिलित हैं, हर शुक्रवार को नमाज़ के बाद पुलिस की पिटाई उनके मनोबल को तोड़कर पूरे तंत्र को कमजोर करने का हिस्सा है जो जोर-शोर से चल रहा है,वास्तविकता में सेकुलर सरकारें स्वयं इस काम को अपने स्वार्थ के कारण से समर्थन दे रही हैं, जिस फौजी के पास १२०० गज कारगर रेंज की असाल्ट रायफल है, वह इन जेहादियों पर गुलेल(water gun आदि )चला रहा है, इशरत जहाँ और सोहराबुद्दीन केस इसी का भाग है जो इस्लामिक शक्तियों के इशारे पर हो रहे हैं। सेना की संख्या कम रखना, उनके पास साधनों का अभाव, उनके ऊपर क़ानूनी शिकंजा, नौकरी को मजबूरी बनाना, यह इसी का हिस्सा है कि व्यापक दंगे की स्थिति में जिसमें G^हादियों द्वारा मशीन गन और ग्रेनेड प्रयोग किये जाएँ, सेना का काम सिर्फ कर्फ्यू लगाने तक ही सीमित रहे।

 व्यापक दंगे 

यह गजवा-ए-हिन्द का अंतिम पड़ाव है जिसमें बहुत कम समय में ज्यादा से ज्यादा काफ़िर( गैर मुस्लिम)पुरषों को मौत के घाट उतारना और उनके प्रतिरोध को कम कर देना। इस काम के लिए जेहादी लड़कों के मरने पर युवा जेहादियों को 72 सुन्दर जवान हुर्रें मिलने की बात की जाती है क़ुरान के अनुसार और जीत गए तो जवान काफ़िर(गैर मुस्लिम)महिलाओं का सम्मान लूटना भी इस्लाम में उचित हैं।काफ़िर की सम्पत्ति और उसकी स्त्रियां सभी इस्लाम में माल ए गनीमत(लूट का माल) की श्रेणी में आती हैं

यही अंतहीन सिलसिला पिछले 1400 वर्षों से चल रहा है, पहले भारत में सनातनी जड़ें गहरी थीं जिससे बार-बार सनातनी-हिदूत्व पनप सका लेकिन आज के दिन झूठे इतिहास और गलत पढ़ाई तथा चर्चों और G^हादियों द्वारा नियंत्रित टीवी / मिडिया ने हिंदुत्व का बेड़ा गर्क कर रखा है उस पर यह हिन्दू विरोधी सरकारें हर वह काम कर रही है जो हिंदुत्व को समाप्त करने के लिए आवश्यक है

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