नाथूराम गोडसे 

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नाथूराम गोडसे

नाथूराम गोडसे 

 जन्म- 19 may 1910 

 मृत्यु- 15 नवंबर 1949  सेंट्रल जेल 

 पुस्तक- व्हाई आई किल्ड गांधी  

 बचपन 

 गोडसे के परिवार में बेटों की अकाल मृत्यु होने के कारण उसे लड़कियों की तरह पाला गया था। उससे पहले पैदा हुए तीन लड़कों की बचपन में मौत हो गई थी। इसके चलते घर वालों ने नाथूराम को नाक छिदवाकर, फ्रॉक पहनाकर 12 साल की उम्र तक ऐसे ही रखा।

रामचंद्र से नाथूराम पड़ा नाम

 नाथूराम गोडसे का नाम रामचंद्र था, लेकिन लड़कियों की तरह भेष रखने और नाक छिदवा कर रखने के कारण उसके दोस्तों और परिजनों ने उसका नाम नाथूराम रखा। 

नाथूराम के बाद उसके भाई दत्तात्रेय का जन्म हुआ और इसी कारण उसका परिवार मानने लगा कि उसने ही सभी को श्राप से मुक्त करवाया है।

वीर सावरकर जी से मुलाक़ात 

गोडसे की रत्नागिरी में इसके बाद विनायक दामोदर सावकर से मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद से उसकी विचारधारा में परिवर्तन आना शुरू हुआ और वह हिंदुत्व की राह पर चलने लगा।

 दरअसल, सावरकर अंडमान की सेल्यूलर जेल में काले पानी की सजा काट कर लौटे थे और वे अपने हिंदुत्व के सिद्धांत के अनुसार भाषण देते थे। इसी भाषणों से गोडसे प्रभावित था और उसने कांग्रेस की सभाओं से दूरी बनानी शुरू कर दी।

Rss से जुड़ाव 

सावरकर के प्रभावित होने के चलते ही गोडसे आरएसएस से जुड़ा था। सावरकर जब 1937 में हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने तो गोडसे भी इससे जुड़ गया। 

गोडसे के आरएसएस नेताओं से भी जान पहचान होने लगी थी, लेकिन 1942 में विश्व युद्ध की आहट के बीच आरएसएस पर कई तरह की पाबंदी लगी थी और वे कोई परेड आदि नहीं कर सकते थे।

 इसके चलते गोडसे ने अपना ही एक नया संगठन हिंदू राष्ट्र दल बना लिया, जिसे आरएसएस और हिंदू महासभा दोनों का समर्थन मिला था। इस संगठन में ही उसकी मुलाकात नारायण दत्तात्रेय आप्टे से हुई, जो गांधी की हत्या में शामिल थे ।

गांधी से नफ़रत क्यों ?

महात्मा गांधी की हत्या के पीछे गोडसे का देश के बटवारे के खिलाफ होना माना जाता है। गोडसे नहीं चाहते थे कि देश को धर्म के आधार पर बांटा जाए। इन्हीं सब को देखकर उसने गांधी जी की हत्या की प्लानिंग रची।

 इसके बाद गोडसे ने दत्तात्रेय आप्टे, मदन लाल पहवा और विष्णु करकरे के साथ मिलकर गांधी को मारने की सोची। इसके बाद 20 जनवरी 1948 को पहवा ने प्लान के अनुसार प्रार्थना सभा में विस्फोट किया, लेकिन उसे एक महिला ने देख लिया और वो गिरफ्तार हो गया। 

साथी की गिरफ्तारी के बाद भी गोडसे को कोई डर नहीं लगा और नफरत की आग बुझाने के लिए 29 जनवरी को दिल्ली के बिड़ला भवन में गोडसे ने गांधी जी के सीने में तीन गोलियां दाग दीं। गोडसे को इसके बाद पकड़ लिया गया 

और उसने गांधी जी की हत्या के लिए खुद पर गर्व होने की बात कही, जिसके बाद कोर्ट के आदेशानुसार उसे 15 नवंबर 1949 को फांसी दी गई।

 नाथूराम विनायक गोडसे महात्मा गांधी के हत्यारे थे, जिन्होंने 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में बिंदु रिक्त सीमा पर गांधी को तीन बार सीने में गोली मार दी थी। 

गोडसे, पुणे के एक हिंदू राष्ट्रवादी, जो मानते थे कि गांधी ने भारत के विभाजन के दौरान भारत के मुसलमानों की राजनीतिक मांगों का समर्थन किया था

काफ़ी लोगो का मानना है की नाथूराम जी ग़लत थे और बहुत से लोगो के आदर्श भी है नाथूराम जी ।

शायद आदर्श मानने वालों ने उनके पूरे जीवन को समझा और जाना और ग़लत बोलने वालों ने उन्हें समझा ही नहीं और ना ही उनके इरादों को समझा ।

ग़लत मानने वालों को उनके द्वारा कोर्ट में दिया गया बयान सुनना चाहिए ।

नमन है नाथूराम गोडसे जी को 

Nathuram Godse 

 Birth- 19 May 1910 

 Death- 15 November 1949 Central Jail 

 Book- Why I Killed Gandhi 

Childhood 

 Due to premature death of sons in Godse’s family, she was brought up like a girl. Three boys born before him died in childhood. Due to this, 

the family members pierced Nathuram’s nose and made him wear a frock and kept him like this till the age of 12.

 Nathuram got the name from Ramchandra Nathuram Godse’s name was Ramchandra, but because of his disguise like a girl and having his nose pierced,

 his friends and family named him Nathuram. After Nathuram, his brother Dattatreya was born and that is why his family started believing that it was he who freed everyone from the curse.

 Meeting with Veer Savarkar ji 

Godse then met Vinayak Damodar Savkar in Ratnagiri. After this meeting, his ideology started changing and he started following the path of Hindutva. Actually, 

Savarkar had returned after serving his sentence of Kala Pani in Cellular Jail of Andaman and he used to give speeches according to his principles of Hindutva.

 Godse was influenced by these speeches and he started staying away from Congress meetings. 

 RSS connection 

Godse joined RSS due to the influence of Savarkar. When Savarkar became the President of Hindu Mahasabha in 1937, Godse also joined it. 

Godse also started getting acquainted with RSS leaders, but in the midst of the World War in 1942, many restrictions were imposed on the RSS and he could not hold any parade etc. 

Due to this, Godse formed his own new organization Hindu Rashtra Dal, which got the support of both RSS and Hindu Mahasabha.

 It was in this organization that he met Narayan Dattatreya Apte, who was involved in Gandhi’s assassination. 

 Why hate Gandhi? 

Godse is believed to be against the partition of the country behind the assassination of Mahatma Gandhi. 

Godse did not want the country to be divided on the basis of religion. Seeing all this, he planned to assassinate Gandhiji. 

After this, Godse along with Dattatreya Apte, Madan Lal Pahwa and Vishnu Karkare thought of killing Gandhi. 

After this, on January 20, 1948, Pahwa carried out an explosion in the prayer meeting as per the plan, but a woman saw him and he was arrested. Even after the arrest of his companion, 

Godse did not feel any fear and to extinguish the fire of hatred, on January 29, Godse fired three bullets into Gandhiji’s chest at Birla Bhawan in Delhi.

 Godse was then captured and said that he was proud of himself for killing Gandhiji, after which he was hanged on 15 November 1949 as per the court order.

 Nathuram Vinayak Godse was the assassin of Mahatma Gandhi, who shot Gandhi three times in the chest at point-blank range in New Delhi on 30 January 1948.

 Godse, a Hindu nationalist from Pune who believed that Gandhi had supported the political demands of India’s Muslims during the partition of India

Many people believe that Nathuram ji was wrong and Nathuram ji is the ideal of many people. 

Perhaps those who believed in his ideals understood and knew his entire life and those who spoke wrong did not understand him nor did they understand his intentions.

 Those who believe wrong should listen to the statement given by him in the court. Salute to Nathuram Godse ji.

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