सुभाष चंद्र बोस

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सुभाष चंद्र बोस

सुभाष चंद्र बोस द्वारा पहली बार राष्ट्रीय धवज फहराया गया

इतिहास में आज का दिन ( सुभाष चंद्र बोस )

14 अप्रैल, 1944 जब पहली बार सुभाषचंद्र बोस जी में राष्ट्रीय द्वज फहराया-

मोइरांग कांगला भारत के मणिपुर राज्य में स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। यहाँ पर स्थित दुर्ग को ‘मोइरांग’ कहा जाता है

और यह ऐतिहासिक दुर्ग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

 
14 अप्रैल – लुटेरे अंग्रेजों के आधीन भारत के ‘मोइरांग कांगला’ में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी व आईएनए द्वारा सर्वप्रथम राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाना
 
सुन्दर पर्वतमालाओं से घिरे मणिपुर की राजधानी इम्फाल से 45 कि.मी दक्षिण में लोकताक झील के किनारे मोइरांग नामक छोटा सा नगर बसा है।
 
भारतीय स्वाधीनता समर में इसका विशेष महत्व है। यहीं पर 14 अप्रैल, 1944 को आजाद हिन्द फौज के संस्थापक नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने सर्वप्रथम तिरंगा झण्डा फहराया था।
 
उन्होंने मोइरांग पर विजय प्राप्त कर यहाँ के डाक बंगले को आजाद हिन्द फौज का मुख्यालय बना लिया था। इस घटना की स्मृति में मोइरांग में ‘आई.एन.ए. युद्ध संग्रहालय’ बनाया गया है।
 
इसमें प्रवेश करते ही बायीं ओर सैन्य वेश में नेता जी की भव्य मूर्ति स्थापित है। इसे देखकर लगता है कि वे स्वाधीनता संघर्ष के मुख्य सेनापति थे। सुभाष चंद्र बोस
 
यह बात दूसरी है कि गांधी व जवाहरलाल नेहरु से वैचारिक मतभेद होने के कारण भारतीय इतिहास में उन्हें समुचित स्थान नहीं मिल सका।
 
संग्रहालय में दायीं ओर संगमरमर पत्थर से निर्मित एक चबूतरा है। उस पर अंग्रेजी में लिखा है – वह स्थल, जहाँ सुभाष चंद्र बोस  ने सर्वप्रथम तिरंगा फहराया था।
 
उससे कुछ दूरी पर संगमरमर से ही बना एक स्मृति स्तम्भ है, जिस पर आजाद हिन्द फौज के तीन आदर्श – अवसर, विश्वास और बलिदान उत्कीर्ण हैं। यह उस स्तम्भ की प्रतिकृति है,
 
जिसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 8 जुलाई, 1945 को आजाद हिन्द सरकार की स्मृति में सिंगापुर में बनाया था। सिंगापुर जब फिर से अंग्रेजों के कब्जे में आया,
 
तो उन्होंने उस स्मारक को तोड़ दिया; पर नेताजी के वीर सैनिकों के मन में बसे स्मारक को वे नहीं तोड़ सके। अतः सैनिकों ने वैसा ही स्मारक मोइरांग में फिर से बना लिया।
 
उस पर लिखा है – आजाद हिन्द फौज के बलिदानियों की स्मृति में इस स्मारक की नींव नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 8 जुलाई, 1945 को रखी।
 
संग्रहालय की अलमारियों में नेताजी द्वारा मोइरांग के लिए लड़े गये निर्णायक युद्ध के अनेक दुर्लभ चित्र लगाये गये हैं।
 
समय-समय पर उनके द्वारा कहे गये प्रेरणादायक वाक्य तथा आजादी का घोषणा पत्र भी वहाँ सुसज्जित है।
 
यहाँ आजाद हिन्द फौज के अन्तर्गत काम करने वाली ‘रानी झाँसी रेजिमेण्ट’ के भी अनेक चित्र हैं। कुछ चित्रों में नेताजी सलामी ले रहे हैं, तो कहीं वे टैंक ब्रिगेड का निरीक्षण कर रहे हैं।
 
आग उगलते युद्ध क्षेत्र के अग्रिम मोर्चे पर उन्हें सैनिकों का उत्साह बढ़ाते देखकर रक्त का संचार तेज हो जाता है।
 
स्वाधीनता संग्राम में जहाँ तथाकथित बड़े कांग्रेसी नेता सुविधा सम्पन्न बंगलों में नजरबन्दी का सुख भोग रहे थे, वहाँ नेताजी जंगलों और पहाड़ों में ठोकरें खाकर लोगों को संगठित कर रहे थे
 
व जनता को खून के बदले आजादी देने का आश्वासन भी दे रहे थे। मोइरांग से 30 कि.मी. की दूरी पर ‘खूनी पर्वत’ है। यहाँ द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान और ब्रिटिश सेनाओं में घमासान हुआ था,
 
जिसमें बड़ी संख्या में दोनों ओर के सैनिक मारे गये थे। मोइरांग हमारी स्वाधीनता के सशस्त्र संग्राम का एक तीर्थस्थल है, जिसकी ओर न जाने क्यों शासन का ध्यान कम ही है।

मोइरांग कांगला में मणिपुर के महाराज बिर तिकें ने 1891 में अंग्रेज़ों के खिलाफ आवाज़ उठाई थी। उन्होंने अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ा और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बने।

इस स्थल पर 1891 में अंग्रेज़ सेना के खिलाफ लड़ा गया था।

मोइरांग कांगला अब एक पर्यटन स्थल के रूप में भी उपयोग में आता है, और यहाँ पर लोग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण स्थलों का अध्ययन करते हैं।

इसके अलावा, यहाँ पर बहुत से पर्यटक और शिल्पकार भी आते हैं जो स्थल की ऐतिहासिकता को बनाए रखने में सहायक होते हैं।

Subhash Chandra Bose

Subhash Chandra Bose hoisted the national flag for the first time This day in history This day in history April 14, 1944,
 
when Subhash Chandra Bose hoisted the national flag for the first time- Moirang Kangla is an important historical site located in the state of Manipur, India.
 
The fort located here is called ‘Moirang’ and this historical fort played an important role during the Indian freedom struggle.
 
April 14 – Netaji Subhash Chandra Bose and INA hoisted the national flag Tricolour for the first time in ‘Moirang Kangla’ of India under the rule of
 
the plundering British A small town named Moirang is situated on the banks of Loktak Lake, 45 km south of Imphal, the capital of Manipur,
 
surrounded by beautiful mountain ranges. It has special significance in the Indian freedom struggle.
 
It was here on April 14, 1944 that Netaji Subhash Chandra Bose, the founder of the Azad Hind Fauj, hoisted the tricolour flag for the first time.
 
After conquering Moirang, he made the dak bungalow here the headquarters of the Azad Hind Fauj.
 

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