13 नवंबर, महाराजा रणजीत सिंह जयंती
ऐसे वीर योद्धा जिन्होंने अंग्रेजों के स्वप्न को कभी पूरा नहीं होने दिय
40 वर्षों तक पंजाब पर शासन करने वाले वीर योद्धा महाराजा रणजीत सिंह जी का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है,
उन्होंने पंजाब को न केवल सशक्त राज्य के रूप में एकजुट किया अपितु अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के आसपास भी नहीं भटकने दिया, दशकों तक शासन के पश्चात रणजीत सिंह का 27 जून,
1839 को निधन हो गया, लेकिन उनकी वीर गाथाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
रणजीत सिंह जी का जन्म पंजाब के गुजरांवाला में 13 नवंबर 1780 को हुआ था, यह क्षेत्र अब पाकिस्तान में आता है,
महाराज रणजीत सिंह जी ने केवल 17 वर्ष की आयु में भारत पर आक्रमण करने वाले आक्रमणकारी जमन शाह दुर्रानी को पराजित करो अपनी पहली विजय प्राप्त की थी,
इस विजय के साथ उन्होंने लाहौर पर अधिकार कर लिया और अगले कुछ दशकों में एक विशाल सिख साम्राज्य की स्थापना की।
12 अप्रैल, 1801 को रणजीत सिंह जी की पंजाब के महाराज के रूप में राज्याभिषेक किया गया, 20 वर्ष की आयु में उन्होंने यह उपलब्धि प्राप्त की थी,
लाहौर विजय के पश्चात उन्होंने अपने साम्राज्य को विस्तार देना आरंभ किया, 1802 में उन्होंने अमृतसर को अपने साम्राज्य में मिला लिया।
1807 में उन्होंने अफगानी शासक कुतबुद्दीन को पराजित कर कसूर पर अधिकार किया, इसके पश्चात 1818 में मुल्तान और 1819 में कश्मीर सिख साम्राज्य का भाग बन गया,
कहा जाता है कि महाराजा रणजीत सिंह जी एक आधुनिक सेना बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपनी सेना में कई यूरोपीय अधिकारियों को भी नियुक्त किया था, उनकी सेना को खालसा आर्मी के नाम से जाना जाता था,
इसी शक्तिशाली सेना ने लंबे समय तक ब्रिटेन को पंजाब हड़पने से रोके रखा, एक ऐसा अवसर भी आया जब पंजाब ही एकमात्र ऐसा राज्य था, जिस पर अंग्रेज अधिकार नहीं कर पाए थे।
महाराजा की एक आंख बचपन में चेचक की बीमारी से खराब हो गई थी, इस बारे में वह कहते थे, भगवान ने मुझे एक आंख दी है, इसलिए उससे दिखने वाले धनी-निर्धन सभी बराबर दिखते हैं,
अपने पिता के साथ केवल 10 वर्ष की आयु में प्रथम युद्ध लड़ने वाले रणजीत सिंह स्वयं पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपने राज्य में शिक्षा और कला को प्रोत्साहन दिया,
उन्होंने पंजाब में कानून-व्यवस्था स्थापित की और कभी भी किसी को मृत्युदंड नहीं दिया, उन्होंने तख्त सिंह पटना साहिब और तख्त सिंह हजूर सिहाब का निर्माण भी कराया।
महाराजा रणजीत सिंह ने 1801-1839 तक पंजाब पर शासन किया, उस दौर में किसी का इतना साहस नहीं था
कि पंजाब की तरफ बुरी दृष्टि से देख सके, 27 जून, 1839 को महाराजा रणजीत सिंह जी का 59 की आयु में निधन हो गया, इसके बाद सिख साम्राज्य की बागडोर खड़क सिंह के हाथ में आई।