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हर आंदोलन पर एक समझौता

2 October special

2 अक्टूबर विशेष

महात्मा गांधी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिनमें अहिंसा और सत्याग्रह पर आधारित उनके सिद्धांतों ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहां उनके द्वारा चलाए गए प्रमुख आंदोलनों का विवरण दिया गया 

1. चंपारण सत्याग्रह (1917)

स्थान- चंपारण, बिहार 

विषय

 गांधीजी का पहला बड़ा सत्याग्रह, जो बिहार के चंपारण जिले में नील की खेती करने वाले किसानों के समर्थन में किया गया था। किसानों को ब्रिटिश नील बागान मालिकों द्वारा शोषण का सामना करना पड़ रहा था। 

उद्देश्य

किसानों को तीन कठिया प्रणाली से मुक्ति दिलाना, जिसके तहत उन्हें अपनी जमीन का 3/20 हिस्सा नील की खेती के लिए देना पड़ता था। 

परिणाम

 इस आंदोलन के बाद नील की खेती से जुड़े किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए सुधार किए गए।

 2. अहमदाबाद मिल हड़ताल (1918)

स्थान- अहमदाबाद, गुजरात 

विषय

गांधीजी ने कपड़ा मिल श्रमिकों के लिए हड़ताल का नेतृत्व किया, जिनकी मांग थी कि उन्हें बेहतर मजदूरी मिले।

उद्देश्य

श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और उचित मजदूरी दिलवाना। परिणाम: मिल मालिकों और श्रमिकों के बीच समझौता हुआ, और श्रमिकों की मांगें पूरी हुईं। 

3. खिलाफत आंदोलन (1919–1924)

 विषय

यह आंदोलन मुस्लिम समुदाय के लिए था, जिसे गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन के रूप में समर्थन दिया। यह आंदोलन ओटोमन खलीफा के समर्थन में था, जिसे प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार ने हटाने का फैसला किया था। 

उद्देश्य

हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देना और मुस्लिम भावनाओं का समर्थन करना। 

परिणाम

हालांकि खिलाफत आंदोलन विफल हो गया, लेकिन इसने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया और स्वतंत्रता संग्राम में व्यापक समर्थन जुटाने में मदद की। 

4. असहयोग आंदोलन (1920–1922)

 विषय

जालियावाला बाग हत्याकांड (1919) और रॉलेट एक्ट (1919) के विरोध में यह आंदोलन शुरू किया गया। गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग न करने का आह्वान किया।

 उद्देश्य

 ब्रिटिश सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध और उनके साथ असहयोग। 

मुख्य कार्य

 सरकारी नौकरियों, स्कूलों, कॉलेजों और ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार। 

परिणाम

यह आंदोलन देशभर में सफल रहा, लेकिन चौरी चौरा कांड (1922) में हिंसा के बाद गांधीजी ने इसे समाप्त कर दिया।

 5. दांडी मार्च (सविनय अवज्ञा आंदोलन) (1930)

स्थान- साबरमती आश्रम से दांडी तक (गुजरात) 

विषय

गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार के नमक कानून के खिलाफ 12 मार्च 1930 को 24 दिन की दांडी मार्च निकाली, जिसमें उन्होंने 240 मील (386 किमी) की दूरी तय की। 

उद्देश्य

नमक कानून को तोड़ना और ब्रिटिश सरकार के अन्य दमनकारी कानूनों के खिलाफ आंदोलन। 

परिणाम

यह आंदोलन पूरे देश में फैला और ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक विरोध का प्रतीक बन गया।

 6. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

 विषय-द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की। इसका उद्देश्य था अंग्रेजों को तुरंत भारत से हटने के लिए मजबूर करना। 

उद्देश्य

 पूर्ण स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) की मांग।

 मुख्य नारा- “करो या मरो”।

 परिणाम

अंग्रेजों ने आंदोलन को दबाने के लिए गांधीजी सहित कांग्रेस के कई नेताओं को गिरफ्तार किया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को गति दी। आंदोलन के बाद स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त हुआ, और 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ।

 7. खेड़ा सत्याग्रह (1918)

स्थान-खेड़ा, गुजरात 

विषय

खेड़ा के किसानों को खराब फसल और अकाल के बावजूद कर चुकाने के लिए मजबूर किया जा रहा था। 

उद्देश्य

किसानों को राहत दिलाना और कर माफी। 

परिणाम

सरकार ने कर माफ किया और किसानों को राहत मिली।

 8. व्यक्तिगत सत्याग्रह (1940-1941)

यह आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन से पहले ब्रिटिश सरकार के खिलाफ व्यक्तिगत सत्याग्रह के रूप में शुरू किया गया था, जिसमें चुनिंदा नेताओं को ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए सत्याग्रह करने का मौका दिया गया। 

इतने लोगो की भीड़ को एक साथ लेकर चलने वाला व्यक्ति गांधी ने क्यों जब जब अंग्रेज कमजोर हुए आंदोलन को बंद कर दिया ?

क्यों हर आंदोलन के बाद एक समझौता हुआ ?

आजादी का प्रस्ताव क्यों नहीं रखा ?

जब अंग्रेज उच्चाधिकारी गांधी की बात मानते थे तो क्यों गांधी ने उन्हें भारत से भगाया नहीं ?

ये सब चंद लोगों की अच्छे बनने की चाह थी वरना दो दल नहीं बनने थे गर्म दल और नरम दल ।

इस सच को नहीं नकारा जा सकता कि जब जब अंग्रेज कमजोर पड़े गांधी ने आंदोलन बंद किए ।

अंत में सबसे खास और विवादित समझौता आता है गांधी इरविन समझौता –

इस समझौतें में स्वतंत्रता की लड़ाई में पकड़े गए सभी कैदियों को छोड़ना था लेकिन रूकिए अंग्रेज राजी भी हुए, समझौता माना भी गया लेकिन भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को समझौतें से बाहर रखा गया, है ना अजीब ।

और भी मुख्य बातें अंग्रेजों द्वारा किए गए गोलमेज सम्मेलनों में शामिल होना क्यों ?

अहिंसा के मार्ग पर चलकर आजादी की लड़ाई लड़ने वाले ने बाद में करो या मारो का नारा क्यों दिया ? 

और कौनसी अहिंसा अपने ही देश के लोगों को आपस में लड़ाया ये अहिंसा ? देश के टुकड़े हुए ये अहिंसा ? 

देश तोड़कर भी अगर आप महात्मा है तो आशा करते है ऐसे महात्मा भारत में फिर जन्म ना ले । 

7 thoughts on “

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