गुरु पूर्णिमा का महत्व : गुरु-शिष्य परंपरा

16

गुरु पूर्णिमा का महत्व 

सनातन धर्म के अन्य संप्रदाय जैसे जैन और बोद्ध में गुरु पूर्णिमा  का महत्व व संपूर्ण जानकारी

गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण हिंदू, बौद्ध, और जैन पर्व है, जो गुरु (शिक्षक या मार्गदर्शक) के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मानित करने और गुरु की महिमा का गुणगान करने के लिए समर्पित है। गुरु पूर्णिमा आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो आमतौर पर जुलाई के महीने में पड़ती है।  

गुरु पूर्णिमा का महत्व 

गुरु-शिष्य परंपरा-

गुरु पूर्णिमा गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक है, जिसमें गुरु को जीवन के मार्गदर्शक और शिक्षण के स्रोत के रूप में सम्मानित किया जाता है। शिष्य अपने गुरु को धन्यवाद देने और उनकी शिक्षाओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए यह पर्व मनाते हैं। 

वेद व्यास की जयंती

 गुरु पूर्णिमा को वेद व्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। महर्षि वेद व्यास ने चार वेदों का संकलन किया था और महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की थी। उन्हें ‘गुरु’ की उपाधि से सम्मानित किया जाता है और उनकी पूजा इस दिन विशेष रूप से की जाती है।

 गुरु पूर्णिमा का उत्सव 

पूजा और अनुष्ठान-

इस दिन शिष्य अपने गुरु की विशेष पूजा करते हैं। इसमें गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उन्हें पुष्प, फल, वस्त्र और अन्य उपहार अर्पित किए जाते हैं। मंदिरों और आश्रमों में विशेष धार्मिक अनुष्ठान और सत्संग का आयोजन किया जाता है। 

सत्संग और प्रवचन

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सत्संग और प्रवचन का आयोजन किया जाता है, जहाँ गुरु अपने शिष्यों को धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं। इस दिन गुरु अपने शिष्यों को महत्वपूर्ण शिक्षाएँ देते हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन करते हैं। 

व्रत और उपवास

कई लोग इस दिन व्रत और उपवास रखते हैं। वे दिनभर अन्न का त्याग करके केवल फलाहार या उपवास का पालन करते हैं। उपवास और व्रत का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त करना और गुरु की कृपा के लिए समर्पण प्रकट करना होता है। 

बौद्ध धर्म में महत्व

 बौद्ध धर्म में गुरु पूर्णिमा

बौद्ध धर्म में गुरु पूर्णिमा को ‘आषाढ़ पूर्णिमा’ या ‘असालहा पूर्णिमा’ कहा जाता है। यह दिन भगवान बुद्ध द्वारा सारनाथ में अपने पहले पांच शिष्यों को दिए गए पहले उपदेश (धर्मचक्र प्रवर्तन) की याद में मनाया जाता है। इस दिन बौद्ध अनुयायी बुद्ध, धर्म (बुद्ध के उपदेश), और संघ (बौद्ध समुदाय) के प्रति अपनी आस्था और कृतज्ञता प्रकट करते हैं। जैन धर्म में महत्व 

जैन धर्म में गुरु पूर्णिमा

जैन धर्म में भी गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह दिन जैन आचार्यों और गुरुओं को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। जैन अनुयायी अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने के लिए इस दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान करते हैं। 

सारांश 

गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति में गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने का महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन गुरु-शिष्य परंपरा को समर्पित है और गुरु के ज्ञान, मार्गदर्शन और शिक्षाओं के प्रति सम्मान प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है। विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह दिन धार्मिक, आध्यात्मिक और नैतिक मूल्य सिखाने वाले गुरुओं की महिमा का गुणगान करने के लिए मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा हमें यह सिखाता है कि गुरु के मार्गदर्शन और शिक्षाओं के बिना जीवन की राह पर आगे बढ़ना कठिन है, और इसलिए हमें अपने गुरु के प्रति सदैव कृतज्ञ और सम्मानित रहना चाहिए।

16 thoughts on “गुरु पूर्णिमा का महत्व : गुरु-शिष्य परंपरा

  1. hiI like your writing so much share we be in contact more approximately your article on AOL I need a specialist in this area to resolve my problem Maybe that is you Looking ahead to see you

  2. Usually I do not read article on blogs however I would like to say that this writeup very compelled me to take a look at and do so Your writing taste has been amazed me Thanks quite nice post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *