राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)

0
Screenshot

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भारत का एक प्रमुख हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन है, जिसे 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में स्थापित किया था। इसका उद्देश्य भारत में हिन्दू समाज को संगठित करना, सांस्कृतिक और सामाजिक पुनरुत्थान लाना, और समाज में राष्ट्रवाद और एकता की भावना को बढ़ावा देना था। आरएसएस का संगठनात्मक ढांचा और गतिविधियाँ अत्यधिक अनुशासन और संघबद्धता पर आधारित हैं। इसे संघ परिवार के रूप में जाना जाता है, और इसके अंतर्गत कई अन्य संगठनों का गठन हुआ है, जो विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं। 

 आरएसएस की स्थापना और उद्देश्य

 1. स्थापना का इतिहास

आरएसएस की स्थापना 27 सितंबर 1925 , तिथि विजयदशमी को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। उस समय भारतीय समाज विभाजन, जातिगत भेदभाव, और सांप्रदायिक संघर्षों से जूझ रहा था। हेडगेवार का मानना था कि हिन्दू समाज के संगठन और जागरूकता की कमी के कारण वे विदेशी शक्तियों और आंतरिक संघर्षों का सामना करने में असमर्थ हो रहे हैं। उन्होंने इस स्थिति को सुधारने के लिए एक ऐसा संगठन बनाने की आवश्यकता महसूस की, जो हिन्दू समाज को संगठित कर सके और उसे एक मजबूत और सक्षम राष्ट्र के रूप में विकसित कर सके। 

2. उद्देश्य

आरएसएस का मुख्य उद्देश्य हिन्दू समाज का सांस्कृतिक और नैतिक उत्थान करना और भारतीय समाज को एकजुट करके राष्ट्र की सुरक्षा, उन्नति और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है। 

इसके प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं

हिन्दू समाज का संगठन

हिन्दू समाज में जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता को दूर कर एकता और सामंजस्य स्थापित करना। राष्ट्रवाद का प्रचार: भारत को एक मजबूत और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित करना और समाज में राष्ट्रवाद की भावना जाग्रत करना। 

संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण

भारतीय संस्कृति, धर्म, और परंपराओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करना। 

स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता

समाज के सभी वर्गों में आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन की भावना पैदा करना। 

संगठनात्मक ढांचा और कार्यप्रणाली

1. शाखाएँ

आरएसएस की मूल गतिविधियाँ इसकी शाखाओं के माध्यम से संचालित होती हैं। शाखाएँ छोटे-छोटे समूह होते हैं, जहाँ संघ के स्वयंसेवक प्रतिदिन एकत्र होते हैं। इन शाखाओं में शारीरिक और बौद्धिक गतिविधियाँ होती हैं, जिनका उद्देश्य समाज में अनुशासन, शारीरिक और मानसिक मजबूती, और नैतिकता को बढ़ावा देना है। 

2. स्वयंसेवक

आरएसएस के सदस्य स्वयं को स्वयंसेवक कहते हैं। ये स्वयंसेवक समाज सेवा, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और संगठन के उद्देश्यों को समाज में फैलाने का कार्य करते हैं। इनका जीवन अनुशासन, सेवा, और राष्ट्रभक्ति के आदर्शों पर आधारित होता है।

 3. विस्तार

 आरएसएस ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहुंच बनाई है। इसके अंतर्गत कई संगठनों की स्थापना हुई है, जैसे कि भारतीय जनता पार्टी (BJP), विश्व हिन्दू परिषद (VHP), अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), स्वदेशी जागरण मंच, और सेवा भारती। ये सभी संगठन समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हैं और संघ के उद्देश्यों को आगे बढ़ाते हैं। 

विचारधारा और सिद्धांत

1. हिन्दुत्व

आरएसएस की विचारधारा हिन्दुत्व पर आधारित है, जिसे वीर सावरकर द्वारा परिभाषित किया गया था। हिन्दुत्व का अर्थ है “भारतीय संस्कृति और सभ्यता”, जो हिन्दू धर्म से जुड़ी हुई है, लेकिन इसका मतलब सिर्फ धार्मिक हिन्दू होना नहीं है, बल्कि भारतीय समाज की समग्र पहचान और संस्कृति को संदर्भित करता है। आरएसएस का मानना है कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है, और हिन्दू समाज को संगठित और सशक्त बनाकर ही भारत का विकास और उन्नति संभव है। 

2. राष्ट्रवाद

आरएसएस राष्ट्रवाद का प्रबल समर्थक है। इसका मानना है कि प्रत्येक भारतीय को अपने देश के प्रति निष्ठावान होना चाहिए और भारत की संस्कृति, सभ्यता, और मूल्य प्रणाली का सम्मान करना चाहिए। आरएसएस की राष्ट्रवाद की धारणा समाज की एकता और अखंडता पर आधारित है।

 3. सामाजिक समरसता

 आरएसएस का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य जातिगत भेदभाव को समाप्त करना और समाज में सामाजिक समरसता स्थापित करना है। संघ का मानना है कि हिन्दू समाज को जातिगत और सामाजिक आधार पर विभाजित करना राष्ट्र के विकास में बाधा है। संघ की शाखाओं में जातिगत भेदभाव को समाप्त कर सबको समान रूप से सम्मान दिया जाता है। 

प्रमुख संगठन और आंदोलन

भारतीय जनता पार्टी (BJP)

आरएसएस के राजनीतिक शाखा के रूप में, भाजपा का गठन 1980 में हुआ था। भाजपा आज भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और वर्तमान समय में सत्ता में भी है। आरएसएस भाजपा को वैचारिक मार्गदर्शन प्रदान करता है, और दोनों संगठनों का आपस में गहरा संबंध है। 

विश्व हिन्दू परिषद (VHP)

 वीएचपी की स्थापना 1964 में हुई थी, और इसका उद्देश्य हिन्दू समाज के धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक पुनरुत्थान को बढ़ावा देना है। यह संगठन मंदिर निर्माण, धर्मांतरण, और धर्म की रक्षा के कार्यों में लगा रहता है। 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP)

यह आरएसएस की विद्यार्थी शाखा है, जो छात्रों के बीच राष्ट्रवाद और सामाजिक जागरूकता का प्रसार करती है। यह छात्रों के अधिकारों और उनके शैक्षिक विकास के लिए काम करता है। 

सेवा भारती

 यह आरएसएस से संबंधित एक सेवा संगठन है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक विकास के क्षेत्रों में काम करता है। इसका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों की मदद करना और समाज में सेवा की भावना को प्रोत्साहित करना है। 

आलोचना और विवाद

 आरएसएस पर अक्सर धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने के आरोप लगाए गए हैं। इसके विरोधियों का मानना है कि आरएसएस का हिन्दुत्व का विचारधारा समाज में विभाजन और असहिष्णुता को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, संघ पर कई राजनीतिक और सांप्रदायिक घटनाओं में शामिल होने का आरोप भी लगता रहा है, जैसे 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद इसे कुछ समय के लिए प्रतिबंधित भी किया गया था। 

निष्कर्ष

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ऐसा संगठन है जो भारत में हिन्दू समाज के संगठन, सांस्कृतिक पुनरुत्थान, और राष्ट्रवाद के प्रसार के उद्देश्य से कार्य करता है। इसके अनुयायी इसे एक सेवा और राष्ट्र निर्माण का संगठन मानते हैं, जबकि इसके आलोचक इसे धार्मिक और सांप्रदायिक विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। बावजूद इसके, आरएसएस का भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव है, और यह देश के सबसे बड़े और संगठित संस्थानों में से एक माना जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *