मेवात दंगे
83.3% की हत्या आतंकवादी इस्लामी भीड़ ने की फिर भी नूहं दंगों में मुस्लिम शांतिदूतों को पीड़ित बता रहा वामपंथी और विदेशी मीडिया
31 जुलाई को हरियाणा के मेवात के नूहं में इस्लामी भीड़ ने हिंदुओं की जलाभिषेक यात्रा पर हमला किया था। इस हमले में 5 लोगों की मौत हो गई। इनमें चार हिंदू हैं। होमगार्ड के एक मुस्लिम जवान की हत्या भी भीड़ हिंदू नाम के कारण कर दी। इसके अलावा गुरुग्राम में एक हत्या हुई है। घायलों में भी हिंदुओं की संख्या मुस्लिमों की अपेक्षा कहीं अधिक है। यही नहीं, आगजनी और तोड़फोड़ भी हिंदुओं के वाहनों और संपत्तियों में ही हुई। इसके बाद भी देश के वामपंथी मीडिया गिरोह से लेकर विदेशी मीडिया तक मुस्लिमों को ही पीड़ित दिखाने की कोशिश में जुटा हुआ है।
इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा लगाई गई हिंसा की आग में मौत का शिकार बने लोगों में 2 होमगार्ड के जवान, 1 मिठाई की दुकान में काम करने वाला हिंदू, यात्रा में शामिल होने गए 2 हिंदू, 1 गुरुग्राम की मस्जिद का मौलाना शामिल है।
नीरज (होमगार्ड)
31 जुलाई को नूहं में मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं पर हमले के बाद गुरुग्राम से पुलिस टीम भेजी गई थी। इस टीम में नीरज खान भी शामिल थे। नूहं के रास्ते में ही इस्लामिक भीड़ ने पुलिस टीम पर पथराव और फायरिंग कर दी। दंगाइयों का सामना करते हुए नीरज ने बलिदान दिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नीरज के शरीर पर गंभीर और बड़े पैमाने पर चोट मिली हैं। इसका मतलब है कि इस्लामवादियों ने उन पर बेरहमी से हमला किया था।
मूल रूप से गुरुग्राम के रहने वाले नीरज के पिता चिरंजीलाल ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। उनका कहना है कि उन्हें गर्व है कि नीरज कर्तव्य निभाते हुए बलिदान हुए।
गुरुसेवक (होमगार्ड)
नीरज की तरह गुरुसेवक भी हिंसा रोकने नूहं जा रहे थे। वह उसी वाहन में थे, जिसमें नीरज थे। इस्लामी भीड़ के हमले में वह भी बलिदान हो गए। गुरुसेवक की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनके लीवर पर चोट की बात सामने आई है। इसका मतलब है कि इस्लामी भीड़ ने उन पर इतना भयंकर हमला किया था कि उनके लीवर तक को नुकसान पहुँच गया। गुरुसेवक मूल रूप से फतेहाबाद के टोहाना खंड के फतेहपुरी गाँव में रहते थे। वह अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे।
शक्ति (मिठाई की दुकान में काम करते थे)
शक्ति सैनी मेवात के मुस्लिम बाहुल्य गाँव भाड़स के रहने वाले थे। वह शोएब मिष्ठान भंडार नामक मिठाई की दुकान में काम करते थे। ऑपइंडिया से बातचीत में शिवसेना शिंदे गुट के नेता रितुराज ने इस बात की आशंका जताई थी कि हमले के दौरान शक्ति दुकान में ही मौजूद थे। भीड़ दुकान से उनका अपहरण कर कहीं और ले गई। इसके बाद हत्या कर बड़कली चौराहे में फेंक दिया।
अभिषेक (जल चढ़ाने गए थे नूहं)
पानीपत के रहने वाले अभिषेक भी उन लोगों में से एक हैं, जो इस्लामी भीड़ के हमले में काल के गाल में समा गए। वह बजरंग दल के प्रखंड संयोजक थे। दंगाइयों ने पहले अभिषेक को गोली मारी। इसके बाद तलवार से गला काटकर उनका सिर पत्थर से कुचल दिया। अभिषेक जिस बस से जा रहे थे, उसी बस में महिलाएँ भी थीं। वह महिलाओं को बचाने आगे आए थे। इसी दौरान हमलावरों ने गोली चला दी, जो अभिषेक को जा लगी। गोली लगते ही अभिषेक जमीन पर गिर पड़े।
वहाँ मौजूद अभिषेक के चचेरे भाई महेश ने मदद के लिए लोगों को पुकारा, लेकिन आसपास कोई नहीं था। महेश अपने घायल भाई अभिषेक को कहीं सुरक्षित स्थान पर ले जाने की कोशिश कर रहे थे। इस बीच भीड़ में से एक हमलावर बाहर आया और उसने तलवार चलाकर अभिषेक की गर्दन काट दी और भाग गया। इसके बाद महेश को भी वहाँ से भागना पड़ा। लगभग 1 घंटे बाद पुलिस आई और अभिषेक को अस्पताल पहुँचाया गया। तब तक अभिषेक की मौत हो चुकी थी।
प्रदीप (जल चढ़ाने गए थे नूहं)
31 जुलाई 2023 को नल्हड़ मंदिर पर हुए हमले में प्रदीप कुमार बच गए थे। पुलिस उन्हें बचाकर पुलिस लाइन ले आई थी। लेकिन घर लौटते समय वह कट्टरपंथियों की भीड़ का निशाना बन गए। 1 अगस्त की रात करीब 2 बजे पुलिस उन्हें थाने की सीमा तक छोड़कर चली गई थी। प्रदीप अपने दोस्त कपिल व हिंदू संगठन की महिलाओं के साथ घर वापस आ रहे थे। इसी दौरान 200-300 लोगों की भीड़ ने घेर कर उन पर पत्थरबाजी शुरू की। इसके बाद प्रदीप को खींचकर कार से बाहर निकाल लिया। इसके बाद पीट-पीटकर मार डाला।
प्रदीप के साथ रहे कपिल त्यागी इस बात को लेकर हैरान हैं कि मुस्लिम भीड़ को उनकी सटीक मुखबिरी कैसे हुई। जबकि वह सीधे पुलिस लाइन से निकले थे। मृतक प्रदीप कुमार गुरुग्राम में बजरंग दल के पदाधिकारी थे। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जिला बागपत के रहने वाले बताए जा रहे हैं। गुरुग्राम में वो छोटा-मोटा काम करके अपना और अपने परिवार का गुजारा करते थे।
इस हिंसा में शहीद होने वाले हिंदुओ की संख्या इससे काफ़ी अधिक है ।
देखिए क्या कहाँ इन बुजुर्ग ने
मौलाना हाफिज साद (एक मात्र मुस्लिम मृतक)
मौलाना हाफिज साद गुरुग्राम की मस्जिद में रहता था। नूहं में भड़की हिंसा की आग गुरुग्राम तक पहुँच गई थी। इसी दौरान 31 जुलाई और 1 अगस्त की दरमियानी रात सेक्टर 57 में स्थित एक निर्माणाधीन और विवादास्पद मस्जिद (जिस पर कोर्ट से रोक भी लगी है) में हमला कर आग लगा दी गई। इस हमले में हाफिज साद की मौत हो गई।