एक हवसी कैसे बन गया प्यार की मूरत ?

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हवसी

इतिहास में ये क्यों नही पढ़ाया गया???

एक हवसी कैसे बन गया प्यार की मूरत ?

अपनी बेटी से शादी करने  वाले को कैसे बनाया गया महान ?

चलिए जानते है 

वामपंथी इतिहासकारो ने कैसे हवस के शहंशाह को प्रेम का मसीहा बताया देश के इतिहास में वामपंथी इतिहासकारों ने हवस में डूबे मुगलों को हमेशा महान बताया जिसमे से एक शाहजहाँ को प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया जाता रहा है

 और किया भी क्यों न जाए, आठ हजार औरतों को अपने हरम में रखने वाला अगर किसी एक में ज्यादा रुचि दिखाए तो वो उसका प्यार ही कहा जाएगा।

आप यह जानकर हैरान हो जाएँगे कि मुमताज का नाम मुमताज महल था ही नहीं, बल्कि उसका असली नाम ‘अर्जुमंद-बानो-बेगम’ था 

और तो और जिस शाहजहाँ और मुमताज के प्यार की इतनी डींगे हाँकी जाती है वो शाहजहाँ की ना तो पहली पत्नी थी ना ही आखिरी ।

मुमताज शाहजहाँ की सात बीबियों में चौथी थी।

इसका मतलब है कि शाहजहाँ ने मुमताज से पहले 3 शादियाँ कर रखी थी और मुमताज से शादी करने के बाद भी उसका मन नहीं भरा तथा उसके बाद भी उसने 3 शादियाँ और की,

 यहाँ तक कि मुमताज के मरने के एक हफ्ते के अन्दर ही उसकी बहन फरजाना से शादी कर ली थी। जिसे उसने रखैल बना कर रखा था,

अगर शाहजहाँ को मुमताज से इतना ही प्यार था तो मुमताज से शादी के बाद भी शाहजहाँ ने 3 और शादियाँ क्यों की?

शाहजहाँ की सातों बीबियों में सबसे सुन्दर मुमताज नहीं बल्कि इशरत बानो थी, जो कि उसकी पहली बीबी थी। 

शाहजहाँ से शादी करते समय मुमताज कोई कुँवारी लड़की नहीं थी बल्कि वो भी शादीशुदा थी और उसका शौहर शाहजहाँ की सेना में सूबेदार था जिसका नाम ‘शेर अफगान खान’ था। शाहजहाँ ने शेर अफगान खान की हत्या कर मुमताज से शादी की थी।

गौर करने लायक बात यह भी है कि 38 वर्षीय मुमताज की मौत कोई बीमारी या एक्सीडेंट से नहीं बल्कि चौदहवें बच्चे को जन्म देने के दौरान अत्यधिक कमजोरी के कारण हुई थी यानी शाहजहाँ ने उसे बच्चे पैदा करने की मशीन ही नहीं बल्कि फैक्ट्री बनाकर मार डाला ।

 शाहजहाँ कामुकता के लिए इतना कुख्यात था कि कई इतिहासकारों ने उसे उसकी अपनी सगी बेटी जहाँआरा के साथ सम्भोग करने का दोषी तक कहा है ।

शाहजहाँ और मुमताज की बड़ी बेटी जहाँआरा बिल्कुल अपनी माँ की तरह लगती थी इसीलिए मुमताज की मृत्यु के बाद उसकी याद में शाहजहाँ ने अपनी ही बेटी जहाँआरा को भोगना शुरू कर दिया था। 

जहाँआरा को शाहजहाँ इतना प्यार करता था कि उसने उसका निकाह तक होने न दिया।

बाप-बेटी के इस प्यार को देखकर जब महल में चर्चा शुरू हुई, तो मुल्ला-मौलवियों की एक बैठक बुलाई गई और उन्होंने इस पाप को जायज ठहराने के लिए एक हदीस का उद्धरण दिया और कहा – “माली को अपने द्वारा लगाए पेड़ का फल खाने का हक है।”

इतना ही नहीं, जहाँआरा के किसी भी आशिक को वह उसके पास फटकने नहीं देता था।

कहा जाता है कि एक बार जहाँआरा जब अपने एक आशिक के साथ इश्क लड़ा रही थी तो शाहजहाँ आ गया जिससे डरकर वह हरम के तंदूर में छिप गया, शाहजहाँ ने तंदूर में आग लगवा दी और उसे जिन्दा जला दिया।

और देखिए ऐसे हवस के दरिंदो को वामपंथी इतिहासकारों ने प्रेम का मिसाल देश के सामने पेश किया

Let us know how 

Leftist historians have described the #Emperor of Lust as the Messiah of Love. In the history of the country, 

Leftist historians have always described the Mughals who were immersed in lust as great, out of which Shah Jahan has been presented as an example of love and did.

 Why not, if the person who keeps eight thousand women in his harem shows more interest in one, then it will be called his love. 

 You will be surprised to know that Mumtaz’s name was not only Mumtaz Mahal, but her real name was ‘Arjumand-Bano-Begum’. 

Moreover, the love between Shahjahan and Mumtaz, whose love is so boasted about, was neither the first wife of Shahjahan. Nor was it the last.

 Mumtaz was the fourth of the seven wives of Shahjahan. This means that Shahjahan had married 3 times before Mumtaz and even after marrying Mumtaz, 

he was not satisfied and even after that he married 3 more, so much so that within a week of Mumtaz’s death his sister Was married to Farzana. 

whom he had kept as his mistress, If Shahjahan was so much in love with Mumtaz, then why did Shahjahan do 3 more marriages even after marrying Mumtaz?

 The most beautiful among the seven wives of Shahjahan was not Mumtaz but Ishrat Bano, who was his first wife. At the time of marrying Shahjahan,

 Mumtaz was not a virgin girl but she was also married and her husband was a subedar in Shahjahan’s army whose name was ‘Sher Afghan Khan’. Shahjahan married Mumtaz after killing Sher Afghan Khan. 

 It is also worth noting that 38 year old Mumtaz died not due to any disease or accident but due to extreme weakness while giving birth to her fourteenth child, 

that is, Shahjahan killed her not only by making her a machine for producing children but also by making her a factory. 

Shah Jahan was so notorious for his promiscuity that many historians have even accused him of having sex with his own daughter Jahanara. 

Shahjahan and Mumtaz’s elder daughter Jahanara looked exactly like her mother, that is why after Mumtaz’s death, Shahjahan started worshiping his own daughter Jahanara in her memory. 

Shahjahan loved Jahanara so much that he did not even allow her marriage. Seeing this love between father and daughter, when discussion started in the palace, 

a meeting of Mullahs and Maulvis was called and they quoted a Hadith to justify this sin and said – “The gardener should receive the fruits of the tree planted by him. Have the right to eat.

” Not only this, he did not allow any of Jahanara’s lovers to approach her. It is said that once when Jahanara was courting one of her lovers, 

Shahjahan came and due to fear she hid in the tandoor of the harem. Shahjahan set the tandoor on fire and burnt her alive. 

 And look at such lustful brutes, leftist historians presented an example of love in front of the country.

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