कुरान में विज्ञान ?

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कुरान में विज्ञान ?

 मूर्खता !

महा अज्ञान !!

 अंत तक पढ़े प्रमाण के साथ। 

कुरान में विज्ञान को ढूँढ़ना उसी तरह असंभव है ,जैसे गधे के सिर पर सींग ढूँढ़ना क्योंकि कुरान और विज्ञान परस्पर एक दुसरे के विरोधी हैं। कुरान केवल ईमान रखने पर जोर देता है। कुरान पर प्रश्न करना ,या उस पर तर्क वितर्क करना अपराध है। जो कुरान में लिखा है वही सत्य है। यदि कोई मुसलमान उस पर संदेह करता है तो वह काफ़िर है। अगर कुरान कहे की बिना बाप और माँ के संतान हुई तो मान लो ,यदि कुरान कहे की मुहम्मद ने चाँद के दो तुकडे कर दिए थे तो ईमान रखो। कुरान का एक भाग अल्लाह ने लिख कर एक फ़रिश्ते जिब्रील के हाथों मुहम्मद को दिया था, तो भी मान लो।  

 अगर किसी ने इस पर संदेह किया तो उसकी गर्दन कलम कर दी जायेगी। सवाल करना ,पूछना इस्लाम में सबसे बड़ा गुनाह है। 

 लेकिन विज्ञान हरेक तथ्य के बारे में जांच ,करने ,परखने ,प्रगोग करने और सवाल करने की अनुमति देता है। इसी सिद्धांत से विज्ञान की इतनी प्रगति हुई है। बिना जांचे परखे विज्ञान किसी भी बात को स्वीकार नहीं करता। विज्ञान का न तो कोई मुहम्मद जैसा अनपढ़ रसूल है, जो तलवार की जोर पर अपनी बात मनवा सके न कोई कुरान जैसी किताब है जिस पर सारे वैज्ञानिक ईमान रखने पर विवश हों। 

 यही कारण है कि मुसलमानों में कोई बड़ा वैज्ञानिक या आविष्कारक नहीं हुआ। कुरान ने सिर्फ आतंकी ,अपराधी ,स्मगलर ,और लुटेरे ही पैदा किये है। जो थोड़ी अरबी ,उर्दू सिख लेते हैं वे किसी मस्जिद के इमाम ,मुल्ले ,मुफ्ती बन जाते हैं या मुअज्जिन बन कर रेंकते रहते है। फिर भी बेशर्मी से सरकारी पैसों से तनखाह लेते है। जो रुपया देश के हिन्दू टेक्स के रूप में देते है। 

 अचानक इन अक्ल के दुश्मनों को यह सनक लगी कि कुरान को विज्ञान सम्मत साबित करके पश्चिम के लोगों पर अपनी ठग विद्या चलायें लेकिन हर जगह इनको मात खानी पड़ी। वहां कुरान को किसी ने रदी के भाव नहीं पूछा। 

आप स्वयं कुरान के विज्ञान यानी अल्लाह के अज्ञान के नमूने देखे :-

 1) सूरज दलदल में ड़ूब जाता है : “यहाँ तक कि वह सूर्यास्त की जगह पहुँच गया ,उसने देखा कि सूरज एक काले कीचड़ (muddy spring )में ड़ूब रहा था।” (सूरा .अल कहफ़ 18 :86)

 2) अल्लाह ने प्रथ्वी को ठहरा रखा है : “वह कौन है ,जिसने प्रथ्वी को एक जगह ठहरा दिया है।”(made the earth fixed )(सूरा -अन नमल 27 :61)

 3) धरती झूलती रहती है : “वही है जिसने तुम्हारे लिए धरती को पालना बनाया” (restling झूला )(सूरा -अज जुखुरुफ़ 43 :10)

 4) धरती फैलायी जा सकती है : “और धरती को जैसा चाहा फैलाया” (spread the earth )(सूर -अस शम्श 91 :6)  

5) रात और दिन लपेटे जा सकते है : “और वह रात को दिन पर लपेटता है ,और दिन को रात पर लपेटता है।” (सूरा -अज जुमुर 39 :5) 6) सूरज अल्लाह से निकलने की आज्ञा लेता है : “सूरज रात को गंदे कीचड़ में डूबा रहता है और अजान से पहले अल्लाह से निकलने की अनुमति लेता है।” (सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 441) 

हम हम कैसे माने कि कुरान में विज्ञान होगा ,जब अल्लाह को स्वयं ही प्राथमिक ज्ञान नहीं है। मुसलमानों के कट्टर होने का यही कारन है। अगर वह कुरान की बातों की जाच कर लेते तो तुरंत इस बेकार पुस्तक को फेक देते।

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