मकर संक्रांति 2023

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makar sakranti

makar sakranti ki shubhkaamnae

मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है ? हमें क्या करना चाहिए उस दिन?

🚩हिन्दू संस्कृति अति प्राचीन संस्कृति है, उसमें अपने जीवन पर प्रभाव पड़ने वाले ग्रह, नक्षत्र के अनुसार ही वार, तिथि त्यौहार बनाये गये हैं । इसमें से एक है  मकर संक्रांति..!! इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जायेगी ।

🚩सनातन हिंदू धर्म ने माह को दो भागों में बाँटा है- कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष । इसी तरह वर्ष को भी दो भागों में बाँट रखा है। पहला उत्तरायण और दूसरा दक्षिणायन। उक्त दो अयन को मिलाकर एक वर्ष होता है । 

🚩सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश को उत्तरायण माना जाता है । इस राशि परिवर्तन के समय को ही मकर संक्रांति कहते हैं । यही एकमात्र पर्व है जिसे समूचे भारत में मनाया जाता है, चाहें इसका नाम प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग हो और इसे मनाने के तरीके भी भिन्न हो, किंतु यह बहुत ही महत्व का पर्व है ।

🚩इसी दिन से अलग-अलग राज्यों में गंगा नदी के किनारे माघ मेला या गंगा स्नान का आयोजन किया जाता है । कुंभ के पहले स्नान की शुरुआत भी इसी दिन से होती है ।

🚩सूर्य पर आधारित हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत अधिक महत्व माना गया है । वेद और पुराणों में भी इस दिन का विशेष उल्लेख मिलता है । होली, दीपावली, दुर्गोत्सव, शिवरात्रि और अन्य कई त्यौहार जहाँ विशेष कथा पर आधारित हैं, वहीं मकर संक्रांति खगोलीय घटना है, जिससे जड़ और चेतन की दशा और दिशा तय होती है । मकर संक्रांति का महत्व हिंदू धर्मावलंबियों के लिए वैसा ही है जैसे वृक्षों में पीपल, हाथियों में ऐरावत और पहाड़ों में हिमालय ।

विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है:-

🚩उत्तर प्रदेश : मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहा जाता है ।

🚩गुजरात और राजस्थान : उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है। पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है ।

🚩आंध्रप्रदेश : संक्रांति के नाम से तीन दिन का पर्व मनाया जाता है ।

🚩तमिलनाडु : किसानों का ये प्रमुख पर्व पोंगल के नाम से मनाया जाता है ।

🚩महाराष्ट्र : लोग गजक और तिल के लड्डू खाते हैं और एक दूसरे को भेंट देकर शुभकामनाएं देते हैं ।

🚩पश्चिम बंगाल : हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है ।

🚩असम : भोगली बिहू के नाम से इस पर्व को मनाया जाता है ।

🚩पंजाब: एक दिन पूर्व लोहड़ी(इस बार १४ जनवरी पर्व के रूप में मनाया जाता है । 

🚩मकर संक्रांति के दिन ही पवित्र गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था। महाभारत में पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था, कारण कि उत्तरायण में देह छोड़ने वाली आत्माएँ या तो कुछ काल के लिए देवलोक में चली जाती हैं या पुनर्जन्म के चक्र से उन्हें छुटकारा मिल जाता है।

🚩दक्षिणायन में देह छोड़ने पर बहुत काल तक आत्मा को अंधकार का सामना करना पड़ सकता है । सब कुछ प्रकृति के नियम के तहत है, इसलिए सभी कुछ प्रकृति से बद्ध है । पौधा प्रकाश में अच्छे से खिलता है, अंधकार में सिकुड़ भी सकता है । इसीलिए मृत्यु हो तो प्रकाश में हो ताकि साफ-साफ दिखाई दे कि हमारी गति और स्थिति क्या है ।

🚩क्या करें मकर संक्रांति को..???

🌞मकर संक्रांति या उत्तरायण दान-पुण्य का पर्व है । इस दिन किया गया दान-पुण्य, जप-तप अनंतगुना फल देता है । इस दिन गरीब को अन्नदान, जैसे तिल व गुड़ का दान देना चाहिए। इसमें तिल या तिल के लड्डू या तिल से बने खाद्य पदार्थों को दान देना चाहिए । कई लोग रुपया-पैसा भी दान करते हैं।

🚩मकर संक्रांति के दिन साल का पहला पुष्य नक्षत्र है मतलब खरीदारी के लिए बेहद शुभ दिन ।

🚩उत्तरायण के दिन भगवान सूर्यनारायण के इन नामों का जप विशेष हितकारी है ।

ॐ मित्राय नमः । ॐ रवये नमः ।

ॐ सूर्याय नमः । ॐ भानवे नमः ।

ॐ खगाय नमः । ॐ पूष्णे नमः ।

ॐ हिरण्यगर्भाय नमः । ॐ मरीचये नमः ।

ॐ आदित्याय नमः । ॐ सवित्रे नमः ।

ॐ अर्काय नमः ।  ॐ भास्कराय  नमः ।

ॐ सवितृ सूर्यनारायणाय नमः ।

🚩ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नम:।  इस मंत्र से सूर्यनारायण की वंदना करनी चाहिए। उनका चिंतन करके प्रणाम करना चाहिए। इससे सूर्यनारायण प्रसन्न होंगे, निरोगता देंगे और अनिष्ट से भी रक्षा करेंगे।

🚩यदि इस दिन नदी तट पर जाना संभव नहीं है, तो अपने घर के स्नानघर में पूर्वाभिमुख होकर जल पात्र में तिल मिश्रित जल से स्नान करें । साथ ही समस्त पवित्र नदियों व तीर्थ का स्मरण करते हुए ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र और भगवान भास्कर का ध्यान करें । साथ ही इस जन्म के पूर्व जन्म के ज्ञात अज्ञात मन, वचन, शब्द, काया आदि से उत्पन्न दोषों की निवृत्ति हेतु क्षमा याचना करते हुए सत्य धर्म के लिए निष्ठावान होकर सकारात्मक कर्म करने का संकल्प लें । जो संक्रांति के दिन स्नान नहीं करता वह 7 जन्मों तक निर्धन और रोगी रहता है।

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