TRUTH OF RAM JANMBHUMI
कल्याण सिंह जी का जन्म 5 जनवरी 1932 को अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
उनके पिता का नाम तेजपाल सिंह लोधी और उनकी माता का नाम सीता था। उनकी पत्नी का नाम रामवती है।
कल्याण सिंह के एक बेटा और एक बेटी है।
कल्य़ाण सिंह के बेटे राजवीर सिंह राजू भैया भारतीय जनता पार्टी के एटा से सांसद हैं।
कल्याण सिंह जून,1991 में उत्तर प्रदेश के पहली बार मुख्यमंत्री बने। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने उसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये 6 दिसम्बर1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया।
सरकार द्वारा 2.77 एकड़ भूमि अधिग्रहण
साल 1991 में कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री बनते ही अयोध्या में बाबरी मस्जिद के पास ही 2.77 एकड़ भूमि का अधिग्रहण उत्तर प्रदेश सरकार ने किया। यह भूमि सरकार ने पर्यटकों के निर्माण के लिए प्रत्यक्ष रूप से खरीदी थी।
लेकिन बाद ने कल्याण सिंह ने उस जमीन पर हिंदुओ को धार्मिक अनुष्ठान करने की अनुमति दे दी। धीरे धीरे कई पुजारी अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में आंदोलन करने लगा गए।
6 दिसंबर 1992 को RSS और उनके सहयोगियों ने मिलकर अयोध्या में राम जन्म भूमि की जगह कारसेवा का आयोजन किया। जिसमे 150000 कारसेवकों का शामिल होना तय था।
इस कारसेवा के दौरान भाजपा के नेता मुरली मनोहर जोशी और ऊमा भारती के साथ लाल कृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज नेता शामिल थे। लेकिन हाथ से बाहर होकर भीड़ से हिंदू संगठनों ने पुलिस बैरियर तोड़कर मस्जिद पर हमला कर दिया।
कल्याण सिंह ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय को वादा किया था कि बाबरी मस्जिद को कुछ नही होगा। और बाबरी विध्वंस के कुछ ही घंटो बाद कल्याण सिंह ने अपने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। केंद्र सरकार ने देरी न करते हुए यूपी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया।
कहा जाता है की जबतक कल्याण सिंह की सरकार थी तब तक दंगे रुके रहे लेकिन केंद्र ने जैसे ही सरकार को बर्खास्त किया यूपी में दंगे होना शुरू हो गए।
भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना का आरोप
कल्याण सिंह जी ने भारतीय सर्वोच्च न्यायालय को आश्वासन दिया था की बाबरी मस्जिद को कुछ नही होगा। लेकिन उसके ढह जाने के बाद इनपर न्यायालय की अवमानना का केस भी चला। और उन्हे एक दिन की जेल के साथ ₹20,000 का जुर्माना भी लगा।
चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आया लेकिन मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी-बहुजन समाज पार्टी ने गठबन्धन सरकार बनायी और विधान सभा में कल्याण सिंह विपक्ष के नेता बने।
वे सितम्बर 1997 से लेकर नवम्बर 1999 तक दोबारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए।
21 अक्टूबर 1997 को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
कल्याण सिंह पहले से ही कांग्रेस विधायक नरेश अग्रवाल के सम्पर्क में थे और उन्होंने जल्द ही नयी पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया और 21 विधायकों का समर्थन दिलाया।
इसके लिए उन्होंने नरेश अग्रवाल को ऊर्जा विभाग का कार्यभार सौंपा।
दिसम्बर1999 में कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़ दी और जनवरी 2004 में दोबारा भाजपा से जुड़ गए । 2004 के आम चुनावों में कल्याण सिंह ने बुलन्दशहर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा का चुनाव लड़ा।
2009 में उन्होंने एक बार फिर से भाजपा को छोड़ दिया और एटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय सांसद चुने गये।
कल्याण सिंह ने 4 सितम्बर 2014 को राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली और उन्हें जनवरी 2015 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया।