चर्च का घिनौना चेहरा और मिडिया ( Church )
क्या आपको बालीवुड की वे फिल्मे याद हैं जिनमे फादर को दया और प्रेम का मूर्तिमान स्वरूप दिखाया जाता था तो हिन्दू सन्यासियों को अपराधी, जो मिडिया आशाराम पर पागल हो गया था वह आज चुप है
19 व 20 फरवरी 2019 को वेटिकन में कैथोलिक पोप के नेतृत्व में 2 दिन की मीटिंग हुई जिसका मुख्य एजेंडा चर्च के पादरियों द्वारा किए गए बाल शोषण के विरुद्ध निर्णय लिया गया
इस मीटिंग के अन्त में पोप ने अपराधियों को दण्डित करने या करवाने की कोई बात नहीं की आश्चर्य यह है कि भारतीय मिडिया ने इसपर अधिक ध्यान नहीं दिया
या जान बूझ कर अनदेखा कर दिया अगर निष्पक्ष भावना से देखा जाए तो यह केवल मामले को दबाने का प्रयास है, 1 साल बाद भी इसमे उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है
क्या है मामला ?
सन् 2009 में आयरलैंड में, विशेष सरकारी आयोगों द्वारा वर्षों के कार्यों के बाद, डबलिन महाधर्मप्रांत में स्कूल प्रणाली में रयान रिर्पोट एवं बाल दुराचार पर मर्फी रिपोर्ट प्रकाशित किया गया था।
मई में आई पहली रिपोर्ट के अनुसार 1930 से 1990 के दशक तक कैथोलिक गिरजे के कर्मचारियों द्वारा हज़ारों बच्चों को पीटा गया, सर मुंडवाया गया, आग या पानी से यातना दी गई, और बलात्कार किया गया,
उन्हें नाम के बदले नम्बर दिया गया था.,कभी कभी तो वे इतने भूखे होते थे कि कूड़ा खाते थे,नवंबर में आई मर्फ़ी रिपोर्ट में सामने आया कि किस तरह चर्च ने दशकों तक बर्बर कारनामों को व्यवस्थित रूप से दबाए रखा,
चर्च नेतृत्व बदनामी के डर से चुप रहा तो सरकारी दफ़्तरों ने नज़रें फेर लीं, जनमत के बारी दबाव के कारण चार बिशपों को त्यागपत्र देना पड़ा,
तीन त्यागपत्रों पर पोप को अभी निर्णय लेना है, रिपोर्ट के अनुसार आर्कडियोसेज़ डब्लिन में 1975 से 2004 के बीच 300 बच्चों के साथ दुर्व्यवहार हुआ, इस बीच कम से कम 170 धर्माधिकारी संदेह के घेरे में हैं
5 फरवरी 2014 ज़ारी अपनी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार समिति (सीआरसी) ने कहा कि वैटिकन को उन पादरियों की फ़ाइलें फिर से खोलनी चाहिए जिन्होंने बाल शोषण के अपराधों को छुपाया है
ताकि उन्हें उत्तरदायी ठहराया जा सके,रिपोर्ट में कहा गया है कि वैटिकन ने अपराधों की गंभीरता को स्वीकार नहीं किया है और इसे लेकर समिति बहुत चिंतित हैं
सितम्बर 2018 में जर्मनी में छपी जर्मनी में एक रिपोर्ट के अनुसार कैथोलिक चर्च में 1946 से 2014 के बीच 3,677 बच्चों का यौन शोषण हुआ,जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस के प्रमुख कार्डिनल मार्क्स ने पीड़ितों से माफी मांगी,
जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस में रिपोर्ट पेश करते हुए कार्डिनल मार्क्स ने पीड़ितों से माफी मांगते हुए कहा, “लंबे समय तक चर्च ने यौन शोषण के मामलों को झुठलाया, नजरअंदाज किया और दबाया,
इस विफलता और उसकी वजह से पहुंची तकलीफ के लिए मैं माफी मांगता हूं.” रिपोर्ट में कैथोलिक चर्च के पादरियों द्वारा बच्चों और किशोरों के यौन शोषण के मामले दर्ज किए गए हैं.
मार्क्स ने कहा, “मैं नष्ट हुए भरोसे के लिए, चर्च के अधिकारियों द्वारा किए गए अपराधों के लिए शर्मसार हूं.”
रिपोर्ट के अनुसार 1946 से 2014 के बीच कैथोलिक चर्च के 1,670 अधिकारियों ने 3,677 नाबालिगों का यौन शोषण किया,
रिपोर्ट के लेखकों ने जर्मनी के 27 डियोसेजे में 38,156 फाइलों का विश्लेषण किया जिसमें 1,670 अधिकारियों के मामले में नाबालिगों का यौन शोषण किए जाने के आरोपों का पता चला,
इस अध्ययन का आदेश जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस ने ही दिया था टीम का नेतृत्व मनहाइम के मनोचिकित्सक हाराल्ड द्राइसिंग की टीम कर रही थी रिपोर्ट के अनुसार आरोपियों में 1429 डियोसेजे के पादरी थे,
159 धार्मिक पादरी थे और 24 डियाकोन अधिकारी थे 54 फीसदी लोगों के मामले में सिर्फ एक का यौन शोषण का आरोप था जबकि 42 प्रतिशत कई मामलों के आरोपी थे, यौन शोषण के पीड़ितों में 63 फीसदी लड़के थे और 35 फीसदी लड़कियां,
पीड़ितों में तीन चौथाई का चर्च और आरोपियों के साथ धार्मिक रिश्ता था, वे या तो प्रार्थना सभाओं में सेवा देने वाले थे या धार्मिक कक्षाओं के छात्र कैथोलिक गिरजे में यौन शोषण के
पीड़ितों के संघ एकिगे टिश ने इस अध्ययन की आलोचना करते हुए उसे सतही बताया है,संगठन के प्रवक्ता मथियास काच ने कहा है कि पीड़ितों की असली संख्या अध्ययन में बताई गई संख्या से कहीं ज्यादा है,
काच ने इस बात की भी आलोचना की है कि अध्ययन के जरिए न तो अपराधियों के नाम बताए गए हैं और न ही इन मामलों को दबाने वाले बिशपों के नाम सामने आए हैं उन्होंने कहा,
“इस समाजशास्त्री अध्ययन को मामले की जांच नहीं समझा जाना चाहिए.” संगठन ने मामलों की स्वतंत्र जांच कराने और कैथोलिक गिरजे से अपना आर्काइव खोलने की मांग की है।
The Disgusting Face of The Church and The Media
Do you remember those Bollywood films in which father was shown as an embodiment of kindness and love and Hindu monks were shown as criminals?
The media which went crazy over Asharam is silent today. On 19 and 20 February 2019, a 2-day meeting was held in the Vatican under the leadership of the Catholic Pope,
the main agenda of which was to decide against child abuse by the priests of the Church. At the end of this meeting, the Pope did not say anything about punishing the criminals or getting them punished.
No, the surprising thing is that the Indian media did not pay much attention to it or deliberately ignored it. If seen objectively, it is only an attempt to suppress the matter,
even after 1 year there has been no significant progress in it. What is the matter? In Ireland in 2009, following years of work by special government commissions,
the Ryan Report and the Murphy Report on child abuse in the school system in the Archdiocese of Dublin were published. Thousands of children were beaten, beheaded,
tortured by fire or water, and raped by Catholic Church staff from the 1930s to the 1990s, according to the first report in May, where they were given numbers instead of names.
At times, they were so hungry that they ate garbage. The Murphy Report in November revealed how the church systematically suppressed these barbaric acts for decades,
with church leadership keeping quiet for fear of scandal while government offices Turned a blind eye, pressure from public opinion led to the resignation of four bishops,
Pope has yet to make a decision on three resignations, reports say 300 children were abused in Archdiocese Dublin between 1975 and 2004,
meanwhile at least 170 religious leaders are under suspicion In its report released on 5 February 2014,
the UN Committee on the Rights of the Child (CRC) said that the Vatican should reopen the files of priests who have covered up crimes of child abuse so that they can be held accountable,
the report said. The Vatican has not acknowledged the seriousness of the crimes and the Committee is deeply concerned
According to a report published in Germany in September 2018, 3,677 children were sexually abused in the Catholic Church between 1946 and 2014.
Cardinal Marx, head of the German Bishops’ Conference, apologized to the victims. Cardinal Marx, while presenting the report at the German Bishops’ Conference He apologized to the victims, saying,
“For too long, the Church has denied, ignored, and suppressed cases of sexual abuse; I apologize for this failure and the pain it has caused.
” The report documents cases of sexual abuse of children and teenagers by priests of the Catholic Church. Marx said, “I am ashamed of the trust destroyed,
of the crimes committed by the Church authorities.” According to the report,
1,670 Catholic Church officials sexually abused 3,677 minors between 1946 and 2014.
The report’s authors analyzed 38,156 files in 27 dioceses in Germany in which 1,670 officials were accused of sexually abusing minors.
It turned out that this study was ordered by the German Bishops’ Conference itself. The team was led by Mannheim psychiatrist Harald Driesing.
According to the report, among the accused, 1429 were diocesan priests, 159 were religious priests and 24 were deacon officers.
54 percent of the people Only one was accused of sexual abuse, while 42 percent were accused of multiple cases, 63 percent of sexual abuse victims were boys and 35 percent were girls,
three-quarters of victims had a church or religious relationship with the accused, they or Ecige Tisch, the association of victims of sexual abuse in the Catholic Church, has criticized the study as superficial.
Organization spokesman Matthias Kach has said that the real number of victims is less than the study.
Kach also criticized the fact that the study revealed neither the names of the perpetrators nor the names of the bishops who suppressed these cases. He said,
“This sociologist The study should not be considered an investigation of the matter.” The organization has called for an independent investigation into the matter and for the Catholic Church to open its archives.