क्रिसमस मनाने वाले सनातनी जरा इसको भी जान लीजिए

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क्रिसमस

क्रिसमस मनाने वाले सनातनी जरा इसको भी जान लीजिए  

क्रिसमस भारत का त्यौहार नहीं है बल्कि धर्मांतरण कराने वाले ईसाई मिशनरियों का है फिर भी कुछ ना समज लोग क्रिसमस मनाते है, क्रिसमस मनाने से पहले जान ले कि 21 दिसंबर से 27 दिसंबर तक क्या हुआ था, और हमें क्या करना चाहिए।

गुरु साहब ने सिर्फ एक सप्ताह के भीतर यानी 21 दिसम्बर से 27 दिसम्बर के बीच अपने 4 बेटे देश-धर्म के लिए वीरगति प्राप्त हुए थे। 

20 दिसम्बर को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने परिवार सहित श्री आनंद पुर साहिब का किला छोड़ा। 

21 व 22 दिसंबर को गुरु साहिब अपने दोनों बड़े पुत्रों सहित चमकौर के मैदान में पहुंचे और गुरु साहिब की माता और छोटे दोनों साहिबजादों को गंगू नामक ब्राह्मण जो कभी गुरु घर का रसोइया था उन्हें अपने साथ अपने घर ले आया।

 चमकौर की जंग शुरू हुई और दुश्मनों से जूझते हुए गुरु साहिब के बड़े साहिबजादे श्री अजीत सिंह और छोटे साहिबजादे श्री जुझार सिंह अन्य साथियों सहित देश-धर्म की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हुए। 

23 दिसंबर को गुरु साहिब की माता श्री गुजर कौर जी और दोनों छोटे साहिबजादे गंगू जी के द्वारा गहने एवं अन्य सामान चोरी करने के उपरांत तीनों को मुखबरी कर मोरिंडा के चौधरी

 गनी खान और मनी खान के हाथों गिरफ्तार करवा दिया गया और गुरु साहिब को अन्य साथियों की बात मानते हुए चमकौर छोड़ना पड़ा। 

24 दिसंबर को तीनों को सरहिंद पहुंचाया गया और वहां ठंडे बुर्ज में नजरबंद किया गया। 

25 और 26 दिसंबर को छोटे साहिबजादों को नवाब वजीर खान की अदालत में पेश किया गया और उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए लालच दिया गया।  

27 दिसंबर को साहिबजादा जोरावर सिंह उम्र महज 8 वर्ष और साहिबजादा फतेह सिंह उम्र महज 6 वर्ष को तमाम जुल्म उपरांत जिंदा दीवार में चिनने उपरांत जिबह (गला रेत) कर बलिदान हो गए और खबर सुनते ही माता गुजर कौर ने अपने प्राण त्याग दिए। 

अब निर्णय आप करो कि भारतवासीयों का धर्मांतरण कराने वाले ईसाई मिशनरियों का त्यौहार क्रिसमस मनाना चाहिए कि हमारे गुरु गोविंद सिंह के परिवार के बलिदान दिवस मनाना चाहिए जो देश वे धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण भी दे दिया, 

आप देश व धर्म की रक्षा के लिए प्राण नहीं दे सकते हैं तो कम से कम धर्मांतरण का धंधा करने वालों का त्यौहार मनाना और बच्चों को उनके वस्त्र और टोपी पहनाना तो छोड़ ही सकते हैं। 

आज जब पंजाब में धर्मान्तरण की आंधी आई हुई है , गांव – गांव में पैसों का लालच देकर लोगो को ईसाई बनाया जा रहा, ऐसे वातावरण में गुरु परिवार के बलिदान की यह चर्चा सात दिनों तक घर घर में होनी चाहिये। ताकि हम और हमारा धर्म बच सके। 

मनाना है तो 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाओ।

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