मदनमोहन मालवीय , MADANMOHAN MALVIYA
पुण्य तिथि- 12 नवम्बर, 1946
महान् स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद ही नहीं, बल्कि एक बड़े समाज सुधारक भी थे। इतिहासकार वी.सी साहू के अनुसार हिन्दू राष्ट्रवाद के समर्थक मदन मोहन मालवीय देश से जातिगत बेड़ियों को तोड़ना चाहते थे।
उन्होंने दलितों के मन्दिरों में प्रवेश निषेध की बुराई के विरुद्ध देशभर में आंदोलन चलाया। 24 दिसम्बर, 2014 को भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पंडित मदनमोहन मालवीय को मरणोपरांत देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया
संक्षिप्त परिचय
स्वतंत्रता संग्राम में, वह उदारवादियों और राष्ट्रवादियों, नरमपंथियों और चरमपंथी बीच में थे, जैसा कि क्रमशः गोखले और तिलक के अनुयायियों को कहा जाता था।
1930 में, जब महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया, तो उन्होंने इसमें भाग लिया और गिरफ्तारी दी।
उन्होंने जीवन भर स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों, उद्योगों को बढ़ावा देने, देश के आर्थिक और सामाजिक विकास, शिक्षा, धर्म, समाज सेवा, हिंदी भाषा के विकास और राष्ट्रीय महत्व के कई अन्य मुद्दों जैसी कई गतिविधियों में भाग लिया।
महात्मा गांधी ने उन्हें ‘महामना’ की उपाधि दी थी और भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन ने उन्हें ‘कर्मयोगी’ का दर्जा दिया था।
बहुआयामी व्यक्तित्व। शिक्षाविद।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीरचयू) के संस्थापक। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी।
हिन्दू महासभा के नेता।
25 दिसम्बर, 1861 को प्रयागराज में जन्म। इलाहाबाद(प्रयागराज) डिस्ट्रिक्ट स्कूल में शिक्षा के रूप में करियर शुरू करने के साथ पढ़ाई जारी रखी।
वकालत की पढ़ाई करने के बाद पहले ज़िला और बाद में हाई कोर्ट में प्रेक्टिस शुरू की।
1886 में नवगाठित कांग्रेस के कोलकाता में आयोजित दूसरे वार्षिक सत्र में प्रेरणादायक भाषण देकर राजनीतिक परिदृश्य में उभरे।50 वर्षों तक कांग्रेस में सक्रिय रहे।
1909(लाहौर), 1918 (दिल्ली), 1932 (दिल्ली) और 1933 (कोलकाता) में कांग्रेस अध्यक्ष रहे।
स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान उदारवादियों और राष्ट्रवादियों के बीच सेतु का काम किया।
1930 में जब गांधी जी ने नमक सत्याग्रहऔर सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया तो मदनमोहन मालवीय ने उसमें हिस्सा लिया और जेल गए।50वीं वर्षगांठ पर देश सेवा के लिए वकालत छोड़ने का फैसला लिया।
1909 में प्रयागराज से प्रभावी अंग्रेज़ी अखबार ‘द लीडर’ शुरू किया।
1903-18 के दौरान प्रांतीय विधायी परिषद और 1910-20 तक केंद्रीय परिषद के सदस्य रहे।
1916-18 के दौरान भारतीय विधायी सभा के निर्वाचित सदस्य रहे।
1931 में दूसरे गोलमेज़ सम्मेलन द्वितीय में हिस्सा लिया, 1937 में राजनीति से सन्न्यास लिया।
योगदान
विशेषकर कैरेबियन में भारतीय अनुबंध प्रणाली को समाप्त करने में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है।
गिरमिटिया मज़दूरी बंधुआ मज़दूरी की एक प्रणाली थी जिसे 1833 में दासता के उन्मूलन के बाद स्थापित किया गया था।
गिरमिटिया मजदूरों को वेस्ट इंडीज, अफ्रीका और दक्षिणपूर्व एशिया में ब्रिटिश उपनिवेशों में चीनी, कपास और चाय के बागानों और रेल निर्माण परियोजनाओं पर काम करने के लिए भर्ती किया गया था।
अंग्रेजों द्वारा हरिद्वार के भीमगोड़ा में गंगा के प्रवाह को पूरी तरह से अवरुद्ध करने की संभावना से आशंकित होकर, उन्होंने 1905 में गंगा महासभा की स्थापना की।
वह एक समाज सुधारक और एक सफल विधायक थे, उन्होंने 11 वर्षों (1909-20) तक इंपीरियल विधान परिषद के सदस्य के रूप में कार्य किया।
सत्यमेव जयते’ शब्द को लोकप्रिय बनाया। हालाँकि, यह वाक्यांश मूल रूप से मुंडका उपनिषद से संबंधित है। यह शब्द अब भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है।
ब्रिटिश सरकार के साथ मालवीय के प्रयासों के कारण देवनागरी को ब्रिटिश-भारतीय अदालतों में पेश किया गया था। हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए बहुत काम किया. उन्हें सांप्रदायिक सद्भाव पर प्रसिद्ध भाषण देने के लिए जाना जाता है।
जातिगत भेदभाव और ब्राह्मणवादी पितृसत्ता पर अपने विचार व्यक्त करने के कारण उन्हें ब्राह्मण समुदाय से निष्कासित कर दिया गया था।
उन्होंने 1915 में हिंदू महासभा (“हिंदुओं का महान समाज”) की स्थापना में मदद की। उन्होंने 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की स्थापना की।
सामाजिक मुद्दों के प्रति ध्यान केंद्रित किया।महिलाओं की शिक्षा, विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया और बाल विवाह का विरोध किया।
2014 में, उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
2016 में, भारतीय रेलवे ने नेता के सम्मान में वाराणसी-नई दिल्ली महामना एक्सप्रेस शुरू की।
12 नवम्बर, 1946 को निधन हो गया।
MADANMOHAN MALVIYA
DEATH ANNIVERSARY – NOVEMBER 12, 1946
He was not only a great freedom fighter, independence and educationist but also a great social reformer.
Historian V.C. According to the moneylender, Madan Mohan, a supporter of Hindu nationalism,
wanted to break the caste shackles of international countries.
He organized a movement in temples against the evil of prohibiting entry into temples.
On December 24, 2014, the President of India Pranab Mukherjee posthumously honored Pandit Madanmohan Injil with the country’s highest civilian award ‘Bharat Ratna’.
Variation Introduction
In the freedom struggle, he was between liberals and nationalists, chauvinists and extremists, as the radicals of Gokhale and Tilak were called.
In 1930, when Mahatma Gandhi started the Salt and Civil Disobedience Movement, he participated in it and pledged.
He participated in many organizations like Jeevan Swatantrata Board, promoting organization, economic and social development of the country,
education, religion, social service, development of Hindi language and many other organizations of national importance.
Mahatma Gandhi gave him the title of ‘Mahamana’ and the second President of India, Dr. S. Radhakrishnan had given him the title of ‘Karmayogi’.
Plural personalities. Academician. Founder of Banaras Hindu University (Birchu).
Freedom fighter. Leader of Hindu Mahasabha. Unofficial birth on December 25, 1861.
The education began with students continuing their education at the Allahabad School in Allahabad (Prayagraj).
After studying law, he started practicing first in the district and later in the High Court. I
n 1886, the second annual session of the newly formed Congress was held in Kolkata in which inspirational speech emerged in a political scenario. Remained active in Congress for 50 years.
Was Congress President in 1909 (Lahore), 1918 (Delhi), 1932 (Delhi) and 1933 (Kolkata). Acted as a bridge between liberals and nationalists during the freedom struggle.
In 1930, when Gandhiji started the Salt and Civil Disobedience Movement, Madan Mohan England took part in it and went to jail.
In 1909, the influential English newspaper ‘The Leader’ started with cartoons.
Member of the Provincial Council during 1903-18 and of the Central Council during 1910-20. Remained a member of the Buddhist Indian Sabha during 1916–18.
Participated in the Second Round Table Conference in 1931, retired from politics in 1937.
Contribution
He is remembered for his role in ending the Indian contract system in the Caribbean.
Indentured labor A system of bonded labor that was established after the abolition of slavery in 1833.
Indentured Smritis were recruited to work on sugar, cotton and tea plantations and as railway construction engineers in British colonies in the West Indies,
Africa and Southeast Asia. Anticipating complete obstruction of the flow of Ganga at Bhimgoda in Haridwar, he established Ganga in 1905.
He was a social reformer and a successful leader, serving as a member of the Imperial Legislative Council for 11 years (1909–20). Popularized the word ‘Satyamev Jayate’.
However, this phrase originally belongs to the Mundaka Upanishad. This word is now the national motto of India.
Devanagari was introduced to British-Indians due to Puraka’s efforts with the British government. Worked a lot for Hindu-Muslim unity.
He is known for his famous speech on communalism. He was expelled from the Brahmin community for expressing his views on caste discrimination and Brahminical patriarchy.
He helped found the Hindu Mahasabha (“Great Society of Hindus”) in 1915. He founded Banaras Hindu University (BHU) in 1916. The focus was on social economics.
Women’s education, widow remarriage, and child marriage were opposed. In 2014, he was posthumously awarded the Bharat Ratna, the country’s highest civilian award.
In 2016, Indian Railways introduced the Varanasi-New Delhi Mahamana Express in the leader’s honour.
Died on March 12, 1946.